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14 साल का हिम्मत लड़का 22 KM तैरा समुद्र में; घर वालों ने मरा मान लिया, लेकिन 24 घंटे बाद…

सूरत: गुजरात के सूरत से हिम्मत की एक अनूठी मिसाल सामने आई है। यहां घर वालों से बिछड़ने के बाद 14 साल का एक लड़का एक-दो नहीं पूरे 22 किलोमीटर यानि 19 नॉटिकल माइल तैरता रहा, वह भी एक गत्ते के सहारे। 24 घंटे बाद जिंदा पाकर घर वाले अब फूले नहीं समा रहे हैं, वहीं जिसको भी इस हिम्मत की कहानी का पता चला, वही खुले मन से वाहवाही कर रहा है। गजब संयोग तो इस बात का भी है कि निराश होकर घर वालों ने इसके अंतिम संस्कार की भी तैयारी कर दी थी। जानें पूरी कहानी…

मिली जानकारी के अनुसार सूरत के गोडादरा का रहने वाला 14 साल का लखन शुक्रवार को अपने छोटे भाई-बहन और दादी के साथ मंदिर में दर्शन करने गया था। वहां से वो टहलने के लिए डूम्मस के समुद्र तट पर गए, जहां लखन और उसका छोटा भाई अचानक समुद्र में ज्वार आया और दोनो डूबने लगे। स्थानीय लोगों ने चिल्लाकर छोटे भाई को तो बचाया, लेकिन लखन समुद्र में डूब गया। सूरत पुलिस के साथ-साथ अग्निशमन विभाग और स्थानीय तैराकों ने उसे ढूंढने के लिए बहुत मेहनत की लेकिन वे असफल रहे।

निराशा का आलम यह था कि उसके परिवार ने लखन के अंतिम संस्कार की तैयारी भी शुरू कर दी थी लेकिन कहते हैं ना जाको राखे साइयां मार सके ना कोई इस मामले में भी ठीक ऐसा ही हुआ। 24 घंटे बाद अचानक चमत्कार हुआ जब परिवार को खबर मिली कि लखन जीवित है। बालक के नवसारी में मिलने की जानकारी पर नवसारी जिला पुलिस के साथ सूरत पुलिस और अन्य एजेंसियां नवसारी पहुंची। नवसारी जिला पुलिस अधीक्षक के साथ एसओजी, एलसीबी समेत विभागों के अधिकारी भी धोलाई बंदर पहुंचे, जहां लखन को समुद्र से 22 किमी दूर पाया गया, वहीं नवसारी के भट गांव के एक मछुआरे ने 24 घंटे तक पानी में रहने के बावजूद लखन को भाट गांव के नवदुर्गा नाव के मछुआरों ने बचा लिया और अपनी नाव में सुरक्षित रख कर बंदरगाह पर सुरक्षित ले आए।

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि यह बालक लगभग 24 घंटे तक गणेश जी को विसर्जित करने वाली मूर्ति के कार्डबोर्ड को सहारा बनाकर जीवित रहा। इस बारे में नवसारी के एसपी सुशील अग्रवाल ने बताया कि सूरत में नवसारी से 22 किलोमीटर दूर समुद्र में डूबे बच्चे के जिंदा मिलने को लेकर जिला पुलिस भी सक्रिय हो गई और मरीन पुलिस ने नाव संचालक रसिक से बात की और नाव को नवसारी के धोलाई बंदरगाह पर लाने की तैयारी की। साथ ही जिला पुलिस अधीक्षक सहित एलसीबी, एसओजी, मरीन और बेलिमोरा पुलिस के पीआई के साथ-साथ पुलिसकर्मी भी लेखन को व्यवस्थित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे। सुबह-सुबह जैसे ही वह लखन धोलाई बंदरगाह पर उतरे, उन्हें आईसीयू एम्बुलेंस में प्राथमिक उपचार दिया गया और नवसारी के एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया।

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