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ये हैं पैड वाली दादी मीना कुमारी, 10 साल पहले एक लड़की को डस्टबिन से पैड उठाते देखा तो उठा लिया हर जरूरतमंद की मदद का बीड़ा

 

नई दिल्ली. बॉलीवुड कलाकार अक्षय कुमार को Padman की भूमिका में तो आप सभी ने देखा है, shabdchakra आपको एक ऐसी महिला से मिलवाने जा रहा है, जो Padman जैसी फिल्मों की प्रेरणा है। यहां तक कि खुद अक्षय कुमार उनकी मदद कर चुके हैं। आइए जानते हैं कि कौन यह खास शख्सियत और कैसे शुरू हुई इसकी गरीब लड़कियों की मसीहा बनने की कहानी…

पैड वाली दादी के नाम से मशहूर 65 वर्षीय मीना कुमारी गुजरात के सूरत की रहने वाली हैं। मीना कुमारी मेहता बताती हैं कि करीब 10 साल पहले उन्होने देखा कि एक लड़की डस्टबिन से कुछ उठा रही थी। गाड़ी धीरे की तो पता चला कि वह कूड़े के ढेर से इस्तेमाल किया हुआ पैड निकाल रही थी। मैंने गाड़ी रोकी और उससे पूछा कि वह ऐसा क्यों कर रही है? उस लड़की ने बताया कि मैं इसे धोकर इस्तेमाल करूंगी। यह बताते हुए वह काफी भावुक हो गई थी। वे कहती हैं कि उस दिन के बाद से मैंने तय किया कि अब इन लड़कियों और महिलाओं के लिए जीना है। यह काम अब मेरी जिंदगी का मकसद बन गया है और अंतिम सांस तक इस काम को करते रहना है। मीना मेहता को पैड वाली दादी के नाम से जाना जाता है। पीएम नरेंद्र मोदी और बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार भी उनके काम की तारीफ कर चुके हैं। साल 2004 में जब सुनामी आई थी तब सुधा मूर्ति ने औरतों के बीच 4 ट्रक सैनिटरी पैड्स बांटे थे। उन्होंने सोचा था कि लोग पीड़ितों को खाना और अन्य चीजें दे रहे हैं, लेकिन उन बेघर महिलाओं का क्या जिन्हें माहवारी हो रही होगी? उनके इन्हीं शब्दों से मीना को काम करने की प्रेरणा मिली।

मीना बताती हैं कि जब मैंने इस काम को शुरू किया तो हमें पता चला कि स्कूली छात्राओं और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली महिलाओं को सबसे ज्यादा पैड की जरूरत है। कई बच्चियों के पास तो पैड नहीं होने की वजह से उन्हें पढ़ाई के दौरान काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है। एक दर्दनाक वाकये को याद करते हुए मीना बताती हैं कि सूरत के एक गांव की एक लड़की के बारे में मुझे पता चला जिसकी मौत सैनिटरी पैड की कमी की वजह से हुई थी। उस लड़की ने पीरियड के दौरान कपड़े का इस्तेमाल किया था। गलती से कपड़े का एक टुकड़ा उसकी वैजाइना के अंदर ही रह गया था। तब उसे इसकी जानकारी नहीं हुई। बाद में यही कपड़ा उसकी मौत का कारण बना। दरअसल उस कपड़े की वजह से उसकी वैजाइना में इन्फेक्शन हो गया था। इसलिए मैंने तय किया कि ऐसे लोगों तक हर हाल में हमें पहुंचना है और मदद पहुंचानी है।

मीना कहती हैं कि शुरुआत में हमारा फोकस पैड्स को लेकर रहा, लेकिन बाद में पता चला कि पैड के साथ ही पैंटी भी बहुत जरूरी है। दरअसल एक स्कूल में जब हम पैड बांट रहे थे तो एक लड़की ने मुझसे कहा कि उसके पास अंडरवियर तो है ही नहीं। तब मुझे लगा कि पैड के साथ ही पैंटी का होना भी उतना ही जरूरी है। तभी से वे पैड के साथ ही पैंटी भी बांट रही हैं। वे कहती हैं कि जब मैं अक्षय कुमार से मिली थी तो उनसे भी कहा था कि आपने पैड का प्रचार तो कर दिया, लोगों को जागरूक कर दिया, लेकिन इससे कहीं महत्वपूर्ण पैंटी का होना भी है।

इसके लिए मीना ने एक मैजिकल किट तैयार की है। इसमें 8 पैड का एक पैकेट, 2 अंडरवियर, 4 शैंपू के पाउच और 1 साबुन होता है। मीना दादी ये किट हर महीने लड़कियों में बांटती हैं। इतना ही नही लड़कियों को हाईजीन के साथ पोषण भी मिलता रहे इसके लिए वे उन्हें चने और खजूर का भी एक पैकेट देती हैं। मीना कहती हैं कि जब कुछ सालों तक हमने काम किया तो हमें रियलाइज हुआ कि अगर इस काम को बड़े लेवल पर और लंबे वक्त तक करना है तो हमें इसे एक संस्था का रूप देना होगा। यह समस्या बड़ी है और इसके लिए समाज के हर वर्ग के लोगों को मदद के लिए आना होगा। इसके बाद हमने 2017 में मानुनी फाउंडेशन के नाम से अपनी संस्था रजिस्टर कराई और प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया की मदद ली। देश-दुनियाभर से हमारे पास फंडिंग आने लगी। लंदन, अफ्रीका, हांगकांग से कई लोग इस अभियान से जुड़े और पैसे डोनेट किए।

मीना के जन्मदिन के मौके पर सुधा मूर्ति ने उन्हें 2 लाख के पैड भेजे थे। वहीं फिल्म पैडमैन के दौरान अक्षय कुमार ने भी मीना को 2 लाख रुपए डोनेट किए थे। इस साल HDFC बैंक की तरफ से भी उन्हें 9 लाख रुपए की फंडिंग मिली है। लड़कियों और औरतों में पीरियड्स को लेकर जागरूकता बढ़े इसके लिए मीना ने झुग्गी-झोपड़ी में जाकर सारी औरतों को पैडमैन फिल्म दिखाई थी। लॉकडाउन में मीना और उनके पति ने कुपोषण से पीड़ित लोगों के लिए मुफ्त में खाना बांटने का भी काम शुरू किया। मार्च 2020 से वे हर दिन स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों के लिए घर पर खाना बनाने का काम कर रहे हैं। मीना चाहती हैं कि हर कोई मीना मेहता बने। वे कहती हैं कि हर इंसान कम से कम एक गरीब लड़की, जिसके पास पैड-पैंटी खरीदने के पैसे नहीं है, उसे हर महीने पैड और पैंटी बांटे। इससे औरतों को पीरियड्स के समय होने वाली परेशानी और बीमारी से निजात मिलेगी।

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