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RSD College के सैमिनार में विद्वानों ने दिया पर्यावरण के साथ तालमेल बनाने वाली जीवनशैली अपनाने पर जोर; कहा-बीमारियां बढ़ा रहे हैं हम

  • फिरोजपुर सिटी स्थित आरएसडी कॉलेज के कॉमर्स और इकोनॉमिक्स विभाग ने करवाया क्लाइमेट चेंज और अर्थव्यवस्था पर सैमिनार

  • पंजाबी यूनिवर्सिटी से अश्विनी गुप्ता के नेतृत्व में आयोजित सैमिनार में देश के प्रख्यात पर्यावरणविद उमेंद्र दत्त थे विशेष वक्ता

फिरोजपुर. जब तक हमारे ऊपर डंडा रहता है, तभी तक हम सीधे रहते हैं। ऐसा ही कुछ नैशनल और इंटरनैशनल पॉलिसी के ऊपर होना भी वक्त की मांग है। ये पॉलिसीज पर्यावरण का नाश कर रही हैं। जीवन को बचाना है तो इन पर लगाम लगनी भी जरूरी है। यह बात शुक्रवार को देश-प्रदेश के जाने-माने विद्वानों ने फिरोजपुर स्थित आरएसडी कॉलेज में आयोजित एक सैमिनार में कही। इनमें खेती विरासत मिशन के डायरैक्टर उमेंद्र दत्त ने प्रकृति के साथ न्यायसंगत ठहरती जीवनशैली अपनाने पर जोर दिया।

दरअसल, आज फिरोजपुर सिटी स्थित आरएसडी कॉलेज कॉमर्स और इकोनॉमिक्स विभाग ने मिलकर एक सैमिनार का आयोजन किया। इसमें चर्चा का मुद्दा क्लाइमेट चेंज और अर्थव्यवस्था था। पंजाबी यूनिवर्सिटी से अश्विनी गुप्ता के नेतृत्व में आयोजित इस सैमिनार में खेती विरासत मिशन के डायरैक्टर एवं देश के प्रख्यात पर्यावरणविद उमेंद्र दत्त ने विशेष वक्ता के रूप में भाग लिया।

बीमारियां ज्यादा बढ़ा रहे हैं हम: उमेंद्र दत्त

इस दौरान पर्यावरणविद उमेंद्र दत्त ने कहा कि आजकल हम ऐसी जीवनशैली को अपनाए हुए हैं, जो सिर्फ हमारा ही नहीं, बल्कि प्रकृति का भी शोषण करती है। हम बीमारियां ज्यादा बढ़ा रहे हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हैं सो अलग। इसके लिए हम में से हर किसी को खुद जागना होगा। हमने जो सरकारी नीतियां अपनाई हैं, उनमें से ज्यादातर यूरोपियन साम्राज्यवादी परिवेश से निकली हैं। हमें इनसे बाहर निकला होगा। हर व्यक्ति अपनी जीवनशैली बदलेगा और तय करेगा कि मुझे प्रकृति का सम्मान करना है तो ही हमारी आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ वातावरण, स्वच्छ हवा और स्वच्छ पानी मिल सकेगा। इस परिवर्तन को लाने के लिए आम आदमी, सरकारों और सामाजिक संस्थाओं को अपने-अपने हिस्से की ईमानदारी निभानी होगी।

विकास के नाम पर विनाश नहीं करना चाहिए: डॉ. अश्विनी गुप्ता

इस दौरान डॉ. अश्विनी गुप्ता ने कहा कि जब तक हमारे ऊपर डंडा रहता है, तभी तक हम सीधे रहते हैं। नैशनल और इंटरनैशनल पॉलिसी, जो पर्यावरण का नाश मार रही हैं, इनके ऊपर भी डंडा होना चाहिए। इसके बिना क्लाइमेट चेंज और इससे पैदा होने वाले बड़े डिजास्टर से बचना नामुमकिन है। उन्होंने कहा कि हमें सुस्टेनेबल हॉलिस्टिक अप्रोच अपनानी चाहिए। अर्थव्यवस्था और विकास इस तरह का होना चाहिए, कि पर्यावरण के कुदरत के अनुकूल हो। विकास के नाम के ऊपर विनाश नहीं करना चाहिए। उनके अलावा हरमीत विद्यार्थी ने भी वक्ता के तौर पर भाग लिया।

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