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VIDEO: इस जांबाज ने आग की लपटों में घिरे तिरंगे के लिए लगाई जान की बाजी, देखें कैसे बचाई देश की आन-बान-शान

पानीपत. हरियाणा के पानीपत में बीते दिन मंगलवार को एक स्पिनिंग मिल में आग लग गई। इससे लाखों का नुकसान हो गया, लेकिन इसी के साथ यहां से बहादुरी की एक मिसाल भी सामने आई है। फायरमैन सुनील मेहला ने यहां जान पर खेलकर आग की लपटों में घिरी देशी आन-बान-शान की रक्षा की है। उन्होंने राष्ट्रीयध्वज को पूरे सम्मान के साथ उतारा और बगल की फैक्ट्री में रखवा दिया। बुधवार को इस घटना का वीडियो सामने आया है, जिसके बाद हर तरफ इस जांबाज की प्रशंसा हो रही है। होनी भी चाहिए। फर्ज निभाना हर किसी के बस की बात नहीं है। VIDEO नीचे देखें

बता दें कि शहर के भारत नगर स्थित एक स्पिनिंग मिल में मंगलवार को भीषण आग लगने से करोड़ों रुपए का नुकसान हो गया। मिल के मालिक मदन गोपाल ने बताया कि लंच के वक्त फैक्ट्री में डीजल मशीन में स्पार्किंग से चिंगारी भड़की और फिर रूई ने पकड़ ली। यहां मौजूद 40 कामगारों ने बड़ी मुश्किल से भागकर अपनी जान बचाई और इसके बाद देखते ही देखते यहां आग और विकराल हो गई। घंटेभर के बाद मौके पर पहुंची दमकल टीम ने आग पर काबू पाया। उन्होंने बताया कि इस घटना में लगभग 5 करोड़ रुपए का नुकसान उन्हें हुआ है। आग लगी भी और बुझा भी ली गई, लेकिन घटना के एक दिन बाद बुधवार को इस दौरान का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें एक अलग ही पहलू देखने को मिलेगा। वीडियो में आप देख सकते हैं कि फायरमैन सुनील मेहला ने तिरंगे के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी।

इस बारे में जींद के भटनागर कॉलोनी निवासी सुनील मेहला ने बताया कि यह ट्रेनिंग का हिस्सा है कि आग लगने की घटना के वक्त चारों तरफ देखते रहना चाहिए। कहीं आग फैलती हुई किसी दूसरी जगह तो नहीं गई। बस, इसी के चलते अचानक उनकी नजर तिरंगे पर पड़ गई। दमकल गाड़ी तिरंगे वाली छत से कुछ ही कदमों की दूरी पर खड़ी थी। सुनील पहले उस गाड़ी को मेन गेट तक लेकर आए। यहां छत के नीचे दीवार से सटाई और साथियों को बैकअप के लिए तैयार किया। जोश ऐसा था कि मैं कुछ ही सैकंड में छत पर चढ़ गए और तिरंगा तुरंत उतारकर नीचे आ गए।

ध्यान रहे, अक्सर इस तरह की आग में बिल्डिंग जर्जर हो जाती है। कई बार तो गिर भी जाती हैं। ऐसे में यह अपने आप में बड़ा रिस्क था, लेकिन सुनील का कहना है कि हर दमकलकर्मी आग को जल्दी से बुझाने की कोशिश करता है, चाहे वह किसी खाली प्लॉट में ही क्यों न लगी हो। यहां तो हमारे देश का गौरव ही आग की लपटों के बीच था, इसके लिए तो जान की कीमत कोई बड़ी चीज नहीं थी। अगर आखिरी समय में भी कुछ हो जाता, तब भी तिरंगे से बढ़कर कुछ भी नहीं था।

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