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हुसैनीवाला में शहीदों को देसी सरसों के पीले फूल अर्पित कर GM किस्म के खिलाफ सत्याग्रह का आगाज

  • खेती विरासत मिशन, भारतीय किसान यूनियन सिद्धुपुर और मानसा के नेतृत्व में पंजाब के कोने-कोने से  हाथों में देसी सरसों के फूल लेकर पहुंचे किसान और समाजसेवी
  • खेती विरासत मिशन के कार्यकारी निदेशक उमेंद्र दत्त और अन्य ने कहा-आम आदमी की भोजन सुरक्षा और खेती से खिलवाड़ कर रही हैं कॉरपोरेट कंपनियां
  • किसानहितैषियों ने किया पंजाब कृषि विश्विद्यालय में लगे जीएम सरसों के ट्रायल्स को नष्ट करवाने का आह्वान

सोहन सिंह चोपड़ा, मनीष रोहिल्ला/हुसैनीवाला स्मारक (फिरोजपुर छावनी)

खेती विरासत मिशन, भारतीय किसान यूनियन सिद्धुपुर और मानसा ने गुरुवार को भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा लाई जा रही सरसों की जैनेटिकली मोडिफाइड (GM) किस्म के खिलाफ आवाज बुलंद की। इस दौरान इन तीनों संगठनों के नेतृत्व में पंजाब के कोने-कोने से किसान और समाजसेवी हाथों में देसी सरसों के पीले-पीले फूल लेकर पहुंचे। भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित फिरोजपुर के हुसैनीवाली शहीदी स्मारक पर अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु को ये फूल भेंट करके सरसों की GM किस्म के खिलाफ सत्याग्रह का आगाज़ किया।

इस दौरान खेती विरासत मिशन के कार्यकारी निदेशक उमेंद्र दत्त ने बताया कि कैसे कॉरपोरेट कंपनियां सरसों की हाईब्रिड GM किस्म के माध्यम से हमारी भोजन सुरक्षा एवं कृषि के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। यह तकनीक एक ज़हरीली तकनीक है और बीटी कपास के निष्फल होने के बाद यह साबित भी हो चुका है ।

इस दौरान भारतीय किसान यूनियन सिद्धुपुर के मीडिया प्रभारी करण सिंह भुट्टीवाल ने GM सरसों के दुष्प्रभावों के बारे में बताया कि कैसे जीन में बदलाव विकृति पैदा करता है। सरसों के मामले में जब  हमारी देसी सरसों की प्रजातियां अच्छी उपज एवं पर्याप्त पोषण देने में सक्षम हैं तो इसे जैनेटिकली मोडिफाइड करने की क्या जरूरत आन पड़ी। असल में विज्ञान के नाम पर कॉरपोरेट कंपनियां हमारे देसी बीजों को नष्ट करके उनको लेकर हमारे अधिकार छीनने का यत्न कर रही हैं। उन्होंने किसानों से अनुरोध किया के हमें इकट्ठे होकर शांतिपूर्ण तरीके से इसका विरोध करना होगा। पंजाब कृषि विश्विद्यालय में लगे जीएम सरसों के ट्रायल्स को नष्ट करवाना होगा। उधर, भारतीय किसान यूनियन मानसा के महासचिव बेअंत सिंह ने जीएम सरसों को मधुमक्खियों के लिए जानलेवा बताते हुए इसके लिए पुरजोर विरोध के लिए अपील की।

भारतीय किसान यूनियन सिद्धुपुर के किसान नेता बेअंत सिंह दोदा ने जीएम सरसों पर तथाकथित वैज्ञानिकों द्वारा किए गए दावों का खण्डन करते हुए बताया के हमारी विरासती सरसों तेल एवं उपज के मामले में कहीं बेहतर है। खेती विरासत मिशन के वरिष्ठ जैविक किसान बलजीत सिंह कंग ने जीएम सरसों के मधुमक्खी एवं शहद उत्पादन पर आने वाले भयानक दुष्प्रभावों के बारे में बताते हुए सभी किसानों को अनुरोध किया के सरसों अभी फूलों पर है अतः हमें जल्द से जल्द पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में लगे जीएम सरसों के ट्रायल्स को जल्द से जल्द नष्ट करवाना होगा। मिशन सतलुज के प्रतिनिधि देवेंद्र सिंह सेखों ने किसानों एवं किसानी के हित में होने वाले हर प्रकार के संघर्ष में जी-जान की बाजी लगा देने का अनुरोध किया।

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