महाकाल की नगरी में नहीं थी पैर रखने को जगह; क्या हुआ-जब Train आई? देखें Video
Ujjain Overcrowded Railway Station, उज्जैन. भीड़ और भारतीय रेलवे के बीच बड़ा ही गिरा रिश्ता है। हाल ही में मध्य प्रदेश स्थित बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन के रेलवे स्टेशन पर इसका एक जीता-जागता उदाहरण देखने को मिल रहा है। इन दिनों वहां भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है और इसी भयावह भीड़ में नौबत यहां तक आ गई कि लोगों को खिड़कियों के रास्ते से ट्रेनों में चढ़ना पड़ा। खासकर महिलाओं को ऐसे चढ़ते देखना ज्यादा रोमांचकारी साबित हो रहा है।
घटना 2 जनवरी की है। दरअसल, सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसे माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ‘X’ पर Cow Momma नामक हैंडलर से शेयर किया गया है। वीडियो में देखा जा सकता है कि उज्जैन के रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ ट्रेन के आने का इंतजार कर रही है। एकाएक ट्रेन आकर प्लेटफॉर्म पर लगती है तो लोग चील-कौवों की तरह टूट पड़ते हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। यहां सीट के लिए मारामारी की हालत एक अनार और हजार बीमार जैसी बन गई। प्लेटफॉर्म के विपरीत दिशा में एक महिला को भारी भीड़ के कारण खिड़की के जरिये कोच में घुसते देखा जा सकता था, जिसके पास दरवाजे पर इंतजार करने का समय नहीं था, जो यात्रियों से भरा हुआ था।
Windows are just small doors anyway. pic.twitter.com/WRgY6cZRJE
— Cow Momma (@Cow__Momma) January 2, 2024
रिपोर्टों के अनुसार भीड़ में वृद्धि कथित अत्यधिक कठोर नए ‘हिट-एंड-रन’ कानूनों के विरोध में ट्रक ड्राइवरों द्वारा शुरू की गई हड़ताल का परिणाम थी। हड़ताल का असर विशेष रूप से उज्जैन में महसूस किया गया, जहां बसों की अनुपलब्धता के कारण हजारों तीर्थयात्री फंसे हुए थे। स्थिति तब और खराब हो गई जब टैक्सी और ऑटो-रिक्शा चालक हड़ताल में शामिल हो गए, जिससे लोगों के लिए हवाई अड्डों और रेलवे स्टेशनों जैसे आवश्यक परिवहन केंद्रों तक पहुंचने के विकल्प सीमित हो गए।
लोग कर रहे ऐसे-ऐसे कमेंट्स
इस घटना के वीडियो को अब तक लगभग सवा लाख लोग देख चुके हैं। इसी के साथ इस पर प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है। लोगों ने भारतीय रेलवे को अपनी टिप्पणियाँ दीं और उनसे इस मुद्दे का समाधान करने का आग्रह किया है। एक यूजर ने टिप्पणी की, ‘साड़ी पहनकर छोटे दरवाजे से डिब्बे में चढ़ना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है…’। एक अन्य ने कहा, ;इसे विंडोज़ ट्रेनिंग कहते हैं!!’ तीसरे टिप्पणीकार ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘आपातकालीन निकास आपातकालीन प्रवेश द्वार बन गया’। चौथे ने व्यंग्य का स्पर्श जोड़ते हुए कहा, ‘देखो, यह प्रधान मध्याह्न रेखा है: प्रधान मध्याह्न रेखा में कुछ भी हो सकता है’।