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सिर्फ कागजी दावों में हो रहा चंबा का विकास; शब्द चक्र न्यूज के ‘हक की आवाज’ अभियान में प्रेरणा द इंस्पिरेशन संस्था बनी साथी; DC देवगन को बताई जमीनी हकीकत

  • समाजसेवियों ने उपायुक्त अपूर्व देवगन से मिलकर मांग की-स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, सफाई व्यवस्था और पार्किंग जैसी मूलभूत सुविधाएं देने के लिए धरातल पर हो काम
  • उपायुक्त ने संस्था की इस राय पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए चम्बा को बेहतर बनाने के लिए कार्य करने की बात कही

राजेंद्र ठाकुर/चंबा

हिमाचल प्रदेश की शिवभूमि चंबा में समाजहित में चल रही संस्था प्रेरणा-द इंस्पिरेशन ने शनिवार को उपायुक्त अपूर्व देवगन को इलाके की समस्याओं से अवगत कराया। उपायुक्त से मिलने पहुंचे संस्था के पदाधिकारियों ने कहा कि चम्बा एक आकांक्षी जिला कहलाता है। कहने को तो आकांक्षी जिले के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से योजनाओ के नाम पर बहुत-कुछ चल रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके एकदम उलट है। आज भी चम्बा स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, सफाई व्यवस्था और पार्किंग जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। सभी क्षेत्र में चम्बा की हालत दिन-प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है। आंकड़ों और कागजी दावों को पूरा करने की दिशा में उठाए जाने वाले कदमों में संस्था हमकदम बनने को तैयार है।

दरअसल, चंबा जिले में विकास के नाम पर कुछ नहीं हो रहा। पहले जहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार के मंत्री-विधायकों की तरफ से आए दिन हवाई दावे किए जाते रहे हैं, वहीं अब सत्ता परिवर्तन के बाद भी जिले के हालात में कोई बदलाव नहीं हुआ है। अगर हम बात स्वास्थ्य की करें तो पहाड़ी और दूर-दराज के क्षेत्रों से उपचार के लिए लोग मैडिकल कॉलेज में आते हैं। उन्हें यहां आकर मायूसी के सिवाय कुछ हाथ नहीं लगता। ठीक होने की आस लेकर आए लोग, कोढ़ में खाज वाली परेशानी लेकर वापस लौट जाते हैं। इसका कारण यहां मैडिकल कॉलेज होने के बावजूद मरीजों को छोटे से उपचार के लिए भी दूसरी जगह रैफर कर दिया जाना है। कुछ चुनिंदा दवाइयां ही सरकारी हॉस्पिटल में मिलती हैं, बाकी सब निजी दुकानों से लेनी पड़ती हैं। एक गरीब और सामान्य परिवार के लिए यह लगभग नामुमकिन है। कुछ इसी तरह के हालात शिक्षा के क्षेत्र के भी हैं। सर्व शिक्षा की बात तो जरूर की जाती है, लेकिन बावजूद इसके आज भी बहुत से बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। कई जगह स्कूल और कॉलेज तो हैं, लेकिन उनमें पढ़ाने वाले नहीं हैं।

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चंबा की बदहाल ब्लॉक रोड। हालांकि यह तो एक नूमना है।

ये भी है प्रमुख समस्याएं

  1. भाग्यरेखा कहलाने वाली सड़क जैसी व्यवस्था के लिए भी चंबा के लोग खासे परेशान हैं। बहुत से क्षेत्रों में सड़क तक पहुंचने के लिए लोगों को घंटों पैदल चलना पड़ता है। किसी इमरजैंसी की स्थिति में तो यह परेशानी और भी बढ़ जाती है। पहले तो रोड बहुत कम, उसके बाद मौजूद सड़क बड़े-बड़े गड्ढे विकास के सरकारी दावों की पोल खोलते नजर आते हैं।
  2. सफाई व्यवस्था में तो चम्बा की हालत और भी दयनीय है। मोहल्ला सुल्तानपुर में सीवरेज का काम काफी लम्बे समय से लंबित है।  शहर का कूड़ा-करकट सीधे चम्बा की जीवनदायिनी रावी नदी में डाल दिया जाता है। हर एक-दो मोड़ के बाद यहां-वहां कूड़े बड़े-बड़े ढेर दिखाई पड़ ही जाएंगे।
  3. इसके अलावा एक और गंभीर विषय है पार्किंग की समस्या का। दूर-दराज से आने वाले लोगों के लिए कही भी गाड़ी खड़ी करने की व्यवस्था नहीं है। मरीज़ो को लाना हो या कोई अन्य कारण से मुख्य बाज़ार आना हो तो लोगो को आए दिन जाम और पुलिस चालान से जूझना पड़ रहा है।

डीसी तक पहुंची बात तो आई ये प्रतिक्रिया

चंबा की जनता के हक की आवाज (जैसा कि शब्द चक्र न्यूज का मुख्य ध्येयवाक्य-हर शब्द हक की आवाज है) उठाते हुए यहां की प्रमुख समाजसेवी संस्था प्रेरणा द इंस्पिरेशन की टीम ने इन सभी दिक्कतों से जिले के नए उपायुक्त अपूर्व देवगन को अवगत कराया है। शनिवार को अपनी बात रखने पहुंचे संस्था के पदाधिकारियों दीपक भाटिया, मृणाल महाजन, चेतन नरूला, आकाश ठाकुर, बानी भूषण, शिशु आर्यन और अन्य ने एक सुर में कहा कि प्रशासन इन समस्याओं से चंबावासियों को राहत दिलाए। संस्था हर क्षेत्र में प्रशासन का सहयोग करने को हमेशा तैयार है। शर्त ये है कि काम धरातल पर दिखना चाहिए, नकि कागजों तक सीमित रहे। हालांकि उपायुक्त ने संस्था की इस राय पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए चम्बा को बेहतर बनाने के लिए कार्य करने की बात कही है। अब देखने वाली बात यह है किक आखिर कितने दिन बाद और चंबा के लोगों के अच्छे दिन आएंगे।

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