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Pregnant बहू के लिए Kranti फिल्म का सांगा बन गया ये ससुर, घर का गेट तोड़ बनाया नाले पर Bridge को अस्पताल, साथ देने उमड़ा पूरा गांव

भोपाल. परमात्मा ने जीवन में रिश्ते-नाते ऐसे ही नहीं जोड़े। हर रिश्ते का अपना एक अलग ही मोल होता है। हिंदुस्तान का दिल कहलाने वाले मध्य प्रदेश में एक शख्स ने बरसते आसमान के नीचे उफनते नाले को लांघकर गर्भवती बहू को अस्पताल पहुंचाया है। इसके लिए उसे अपने घर का गेट तक तोड़ना पड़ा। प्रसव के बाद फिलहाल जहां जच्चा-बच्चा दोनों एकदम सुरक्षित हैं, वहीं महिला के ससुर की तारीफ हो रही है। हो भी क्यों नहीं, अगर देश के गुलामी के हालात पर बनी फिल्म क्रांति (Kranti) देखी हो तो भोपाल में सामने आई घटना का यह हीरो क्रांति फिल्म के सांगा से कम नहीं है।

ध्यान रहे, इन दिनों भारी बारिश के चलते देश के अनेक हिस्सों में नदी-नाले सब उफान पर हैं। बीते दो दिन में भी मध्यप्रदेश में मूसलाधार बारिश हुई है और इससे कई गांव टापू में बदले नजर आ रहे हैं। आने-जाने के सभी रास्ते बंद हो गए। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। भोपाल के बैरसिया ब्लॉक के गांव मैनापुरा से भी ऐसा ही एक मामला सामने आया है। मिली जानकारी के अनुसार बीती 22 अगस्त को मैनापुरा जलाशय के बैक वाटर एरिया में भूरी देवी नामक एक महिला को सुबह 4 बजे अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। हर तरफ पानी ही पानी भरा हुआ है, वहीं उस वक्त भी मूसलाधार बारिश हो रही थी। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। महिला के ससुर राधेश्याम गुर्जर ने पड़ोसियों को बताया तो मदद के लिए पूरा गांव साथ आ गया। सभी लोग नाले के किनारे पहुंचे। गांव से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर नाले का सबसे संकरा छोर मिला तो यहीं रास्ता बनाने का तय हुआ।

...जब Kranti फिल्म का सांगा बन गया ये शख्स, घर का गेट तोड़ बनाया नाले पर Bridge; मूसलाधार बारिश में खाट पर पहुंचाया Pregnant बहू को अस्पताल

इसके बाद सबसे पहले राधेश्याम ने अपने घर की बाउंड्रीवॉल के गेट को तोड़ा और वह ग्रिल को लेकर नाले के किनारे पहुंचे। गांव के दूसरे लोग भी अपने-अपने घरों से ट्यूबवैल की पाइप और रॉड लेकर आ गए। सभी ने मिलकर गिने-चुने 20 मिनट में पाइपों के ऊपर गेट की ग्रिल डालकर अस्थायी पुल बना दिया। अब पुल तो तैयार था, लेकिन तेज बारिश के बीच बहू को करीब 5 किलोमीटर दूर अस्पताल पहुंचाना भी बड़ी चुनौती थी। आखिर उसे खाट पर लिटाकर तिरपाल से ढका और करीब डेढ़ किमी कच्चे रास्ते से होते हुए खेत तक पहुंचे। वहां भांजा जगदीश ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर खड़ा था, जिसकी मदद से बहू को नजीराबाद के सरकारी अस्पताल लेकर गए। राधेश्याम ने बताया कि 8 साल पहले बेटे की शादी हुई थी। लंबे समय से घर में खुशी आने का इंतजार था। दवाइयों के साथ देवी-देवताओं से मन्नत भी मांगी। अस्पताल तक पहुंचाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा, लेकिन पूरे गांव ने इस संकट में साथ दिया और आखिर पोते का चेहरा देखते ही सारी दुख-तकलीफ भूल गया।

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