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हरियाणा सरकार की विनाशकारी नीति पर विपक्ष का पलटवार; Congress प्रवक्ता डॉ. जोगेंद्र मोर ने कहा-सीधे तौर पर व्यवस्था का कत्ल है स्कूलों का मर्जर

सोनीपत. हरियाणा की भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार सूबे की शिक्षा व्यवस्था का कत्ल करने पर उतरी हुई है। एक ओर सूबे की सरकार बीते 8 साल में सिर्फ 8 स्कूल बनाकर शिक्षा व्यवस्था को सुधारने का ढिंढोरा पीटने और अपनी ही पीठ थपथपाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही, वहीं इससे भी कहीं बड़ी शर्मनाक बात यह है कि इन 8 साल में 5 हजार के करीब स्कूल बंद कर दिए जा चुके हैं। प्रदेश सरकार की विनाशकारी नीति को लेकर प्रदेश में हर तरफ हा-हाकार मचा हुआ है, वहीं विपक्ष भी सत्तापक्ष को घेरने में लगा है। इसी बीच शुक्रवार को कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. जोगेंद्र मोर ने कहा है कि सरकार स्कूलों का मर्जर नहीं, शिक्षा व्यवस्था का मर्डर कर रही है। जनता की गाढ़ी कमाई और पीढ़ियों की मेहनत से बने स्कूलों को बंद करके दलित, पिछड़े, गरीब, किसान, मजदूर और ग्रामीण बच्चों से शिक्षा का अधिकार छीना जा रहा है।

शुक्रवार को एक प्रैस विज्ञप्ति के जरिये कांग्रेस नेता डॉ. जोगेंद्र मोर ने कहा है कि पूर्व में रह चुके कांग्रेस के शासनकाल में स्कूल व दूसरे शिक्षण संस्थान खोलने, अपग्रेड करने और भर्तियों वगैरह को लेकर हुए काम के मुकाबले मौजूदा सरकार कहीं नहीं ठहरती। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जननायक जनता पार्टी (JJP) की गठबंधन सरकार बेरोजगारी के बाद हरियाणा को अशिक्षा में भी नंबर वन बनाना चाहती है, इसलिए जनता की गाढ़ी कमाई, पीढ़ियों की मेहनत, पंचायतों के चंदे और समाज के सहयोग से स्थापित हुए स्कूलों को बंद किया जा रहा है। रैशनलाइजेशन और चिराग योजना का मकसद तय रणनीति के तहत स्कूलों पर ताले जड़ना है। दूसरी ओर सरकार की तरफ से जान-बूझकर भ्रामक बयानबाजी की जा रही है, ताकि जमीनी हकीकत को जनता जनार्दन से छिपाया जा सके। गजब की बात है कि खुद मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के बयान ही आपस में मेल नहीं खाते।

खुद शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री के बयानों में भी सामंजस्य नहीं

BJP सरकार की गुमराह करने वाली स्थिति का उदाहरण देते हुए डॉ. मोर बताते हैं-शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर (KP Gurjar) कहते हैं कि सरकार ने एक गांव और एक किलोमीटर के दायरे में चल रहे स्कूलों को ही मर्ज किया है, लेकिन मुख्यमंत्री कहते हैं कि सिर्फ एक कैंपस में चल रहे दो या दो से ज्यादा स्कूलों को मर्ज किया गया है। शिक्षा विभाग के आदेश और विधानसभा में सत्तापक्ष के जवाब से साफ है कि लिस्ट जारी करके सरकार ने 301 स्कूलों पर ताले जड़ दिए हैं। बावजूद इसके मुख्यमंत्री मनोहर लाल मीडिया के सामने सफाई देते फिर रहे हैं कि उनकी सरकार ने कोई भी स्कूल बंद नहीं किया। इतना ही नहीं, उसी प्रैसवार्ता में मुख्यमंत्री कहते हैं कि BJP सरकार ने पूरे कार्यकाल के दौरान सिर्फ 120 स्कूलों को ही मर्ज किया है और उन 120 में से 42 स्कूलों को फिर से शुरू कर दिया गया, यानि मुख्यमंत्री के मुताबिक इस सरकार ने सिर्फ 78 स्कूलों को ही मर्ज किया है। अब अगर इस बात को सही भी मान लें तो इस सवाल का जवाब क्या है- स्कूलों की कुल संख्या 14,503 से घटकर 9700 कैसे हो गई।

इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री के बयान को कोट करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. जोगेंद्र मोर कहते हैं-खुद मुख्यमंत्री ने बताया है कि उनकी सरकार ने 4493 स्कूलों को मर्ज कर 8677 प्राइमरी स्कूलों की संख्या 4184 तक समेट दी है। इस तरह हजारों प्राइमरी स्कूलों से हैड टीचर्स का पद भी खत्म हो गया। ऐसा करके सरकार ने JBT अध्यापकों से हैड टीचर के तौर पर प्रोमोशन का अधिकार भी छीन लिया है। एक ही गांव में कई स्कूल खोलने, लड़के-लड़कियों के अलग-अलग स्कूल बनाने और एक ही कैंपस में दो स्कूल चलाने का मकसद प्रबंधन को बेहतर बनाना था। इन स्कूलों के हैड टीचर, स्टाफ, प्रशासनिक कार्य और खाते अलग-अलग होते थे। प्रबंधन बेहतर होने से शिक्षा की गुणवत्ता सुधर रही थी, लेकिन मौजूदा सरकार ने एक ही झटके में सब बर्बाद कर दिया।

हरियाणा सरकार की विनाशकारी नीति पर विपक्ष का पलटवार; Congress प्रवक्ता डॉ. जोगेंद्र मोर ने कहा-सीधे तौर पर व्यवस्था का कत्ल है स्कूलों का मर्जर
हिसार जिले के गांव धांसू में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय को ताला लगाकर नाराजगी जताती छात्राएं। हकीकत यह है कि यह तस्वीर एक अकेले धांसू गांव की नहीं, बल्कि राज्यभर में देखी जा सकती है। – शब्द चक्र न्यूज

डॉ. मोर ने भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के नेतृत्व में कांग्रेस के सत्ता में आने से पहले वर्ष 2005-06 तक प्रदेश में कुल 13,190 सरकारी स्कूल थे। कांग्रेस के राज में यह बढ़कर 14,504 हो गई थी। मतलब साफ है कि कांग्रेस की सरकार ने नए स्कूल खोलने और स्कूलों को अपग्रेड करने पर जोर दिया था। विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि कांग्रेस सरकार के दौरान 2332 स्कूल अपग्रेड/ओपन किए। इसके मुकाबले सूचना का अधिकार (RTI) के जवाब में मौजूदा सरकार ने बताया कि इन 8 साल में सिर्फ 8 नए स्कूल स्थापित किए गए हैं और सिर्फ 463 स्कूलों को अपग्रेड किया गया है। ये आंकड़े ये बताने के लिए काफी हैं कि मौजूदा सरकार नए स्कूल स्थापित करने, स्कूलों को अपग्रेड करने और शिक्षा महकमे में नौकरियां देने के मामले में मौजूदा सरकार कांग्रेस के सामने कहीं नहीं टिकती।

कांग्रेस के शासनकाल में खोले गए थे इतने शिक्षण संस्थान

डॉ. मोर ने बताया कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए प्रदेश में आरोही, संस्कृति मॉडल, किसान मॉडल समेत सैकड़ों स्कूलों की स्थापना के साथ IIM, IIT, केंद्रीय विश्वविद्यालय, डिफैंस यूनिवर्सिटी समेत 15 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थान स्थापित किए थे। उसी दौरान राजीव गांधी एजुकेशन सिटी, 5 नए मैडिकल कॉलेज, 12 नए राजकीय विश्वविद्यालय, 22 निजी विश्वविद्यालय, कुल 34 नए विश्वविद्यालय, 45 राजकीय महाविद्यालय, 503 तकनीकी संस्थान, 140 नई सरकारी आईटीआई, 36 आरोही, दर्जनों किसान और संस्कृति मॉडल स्कूलों की स्थापना की गई। इन तमाम संस्थानों में एक लाख से ज्यादा नौकरियां दी गईं। इसके मुकाबले बीजेपी, बीजेपी-जेजेपी सरकार ने पूरे कार्यकाल में JBT की एक भी भर्ती नहीं निकाली। अपने विज्ञापन पर इस सरकार ने आज तक एक भी अध्यापक की भर्ती नहीं की। इस सरकार ने एक कैंपस ही नहीं, एक ही गांव व आस-पास के गांवों में चलने वाले हजारों स्कूलों को मर्ज कर दिया है। ऐसा करके उसने 38,476 खाली पड़े टीचर्स के पदों में से लगभग 25,000 पदों को बिना कोई भर्ती के खत्म कर दिया है, जबकि टीचर्स नहीं होने की वजह से सैकड़ों स्कूलों में साइंस स्ट्रीम बंद हो गई है। कई स्कूलों में मैथ्स, फिजिक्स, कैमिस्ट्री, हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी सब्जैक्ट के टीचर्स नहीं हैं। इस तरह टीचर्स के पदों को खत्म और सरकारी स्कूलों को बंद करके मौजूदा सरकार दलित, पिछड़े, गरीब, किसान, मजदूर व ग्रामीण बच्चों से शिक्षा का अधिकार छीन रही है।

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