खेदड़ से खबर आई कि Government ने घुटने टेक दिए, मगर अफसोस! पहले हो गया होता यह काम तो बच जाती धर्मपाल की जान
सुलखनी/खेदड़ (हिसार). हिसार के खेदड़ से खबर आई है कि सरकार (Government) ने घुटने टेक दिए। बुधवार देर शाम प्रशासन ने आंदोलनकारियों की सारी मांगों को मान लेने का भरोसा दे दिया है। अच्छी बात है कि अपने-अपने काम छोड़कर 3 महीने से धरने पर बैठे लोग घर को लौट सकेंगे, लेकिन अफसोस! प्रशासन को यह काम बहुत पहले कर लेना चाहिए था। कम से कम बेचारे धर्मपाल की जान तो नहीं जाती। खैर देर आए दुरुस्त आए।
बता दें कि खेदड़ स्थित स्थित राजीव गांधी थर्मल पावर प्लांट (Rajiv Gandhi Thermal Power Plant) की राख उठाने का काम गोशाला को दिए जाने की मांग को लेकर पिछले 91 दिन से ग्रामीण यहां पावर प्लांट के गेट पर धरना जमाए बैठे थे। इस बीच कई बार अहम बैठकें हुई। कई फैसले लिए गए और इन्हीं में से एक फैसला बीती 8 जुलाई को पावर प्लांट को जाती रेलवे लाइन पर बैठकर वहां कोयले की सप्लाई रोक देने का भी हुआ। इसके बाद जैसे ही आंदोलन की राह पर चलने को मजबूर ये लोग रेलवे लाइन की तरफ बढ़े, भारी तादाद में तैनात पुलिस बल के साथ टकराव हो गया। नौबत लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले तक इस्तेमाल करने की आ गई।
ध्यान रहे इस खींचतान के माहौल में गांव के धर्मपाल नामक एक व्यक्ति की मौत हो गई, वहीं पुलिस और आंदोलनकारी दोनों पक्षों के बहुत से लोग चोटिल भ्री हुए थे। इसके बाद पुलिस प्रशासन ने जब 10 लोगों को नामजद करते हुए कुल 810 के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज कर लिया और चार को गिरफ्तार भ्री कर लिया तो ग्रामीणों का गुस्सा और भी बढ़ गया। ऐसा होना स्वाभाविक सी बात थी।
भले ही प्रशासन की तरफ से दलील दी गई कि धर्मपाल की मौत आंदोलनकारियों के ट्रैक्टर के नीचे कुचले जाने से हुई है, लेकिन ग्रामीणों का आरोप था कि वह (धर्मपाल) पुलिसिया कार्रवाई में मारे गए हैं। बावजूद इसके उल्टा हमारे ही साथियों पर 302 और 307 की धाराओं में केस दर्ज कर दिए गए। प्रशासन की मानसिकता में खोट है।
प्रशासन के इसी रवैये के खिलाफ एक ओर बुधवार को महापंचायत का ऐलान किया गया, वहीं संयुक्त किसान मोर्चे ने भी इस आंदोलन को साथ देने का ऐलान कर दिया। इस ऐलान के बाद खरीफ की फसलों के मुआवजे की मांग को लेकर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ 15 जुलाई को हिसार कमिश्नरी का घेराव करने के लिए एकदम तैयार 4 जिलों हिसार, सिरसा, फतेहाबाद और जींद के किसानों ने खेदड़ की महापंचायत में शामिल होने का ऐलान कर दिया।
बुधवार को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार एक पुलिस प्रशासन ने पूरे इंतजाम कर रखे थे, दूसरी ओर नाराज किसानों ने अपना रूप दिखाया। इन्होंने ट्रैक्टरों की मदद से यहां लगाए गए बैरिकेड्स को घसीटकर एक साइड कर दिया। इसके बाद दोनों पक्षों में भारी टकराव की आशंकाएं प्रबल थी, लेकिन गनीमत रही कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। आंदोलनकारियों ने प्रशासन को शाम 4 बजे तक का अल्टीमेटम दिया और आखिर करीब सवा 6 बजे के बाद राहतभरी खबर खेदड़ से आ ही गई।
क्या होगा अब आगे?
- 6 दौर की मीटिंग में समझौता हुआ कि थर्मल पावर प्लांट की राख पर रोज 37 रुपए प्रति टन गोशाला को दिया जाएगा। काम में मशीनरी गोशाला कमेटी की ही रहेगी।
- 15 दिन के भीतर 302, 307 के तहत दर्ज सभी 810 मुकद्दमे रफा-दफा कर दिए जाएंगे और इससे पहले ही गिरफ्तार किए गए चारों युवा धर्मपाल के दाह-संस्कार में शामिल होंगे।
- थर्मल पावर प्लांट में झुलस गए लोगों को ढाई-ढाई लाख रुपए और गुरुवार दोपहर से मुख्यमंत्री से मीटिंग के बाद डीसी रेट की नौकरी दी जाएगी।
- ज्वायंट खाते वालों को भी मुख्यमंत्री से मीटिंग के बाद मुआवजा दिया जाएगा।
- दो एकड़ भूमि वाले किसानों को भी डीसी रेट की नौकरी दी जाएगी।
- धर्मपाल के परिवार को उचित मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी।
- थर्मल थर्मल प्लांट से खेदड़ गांव को बिजली और पानी दिए जाएंगे।
- थर्मल पावर प्लांट के गेट पर लगा धरना जारी रहेगा। प्रसाशन का रुख ठीक रहा तो धरना उठाया भी जा सकता है, नहीं तो दोगुणा तेज तरीके से आंदोलन को मजबूत बनाकर लड़ेंगे।