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42 साल में हजारों अनाथ बच्चों को नया जीवनदान दे चुके ‘अनूठे संत’ डॉ. केसी अरोड़ा, देखें शब्द चक्र न्यूज के साथ खास बातचीत का ये Video

  • फिरोजपुर के बस्ती टैंकां वाली में क्लीनिक चला रहे डॉ. केसी अरोड़ा रोज शाम 4 से 6 बजे तक आर्य अनाथालय में करते हैं फ्री चैकअप
  • जरूरत पड़ने पर क्लीनिक बुलाकर देते हैं दवाई, बच्चों के प्रति सेवाभाव को देखते हुए प्रशासन ने बाल विकास कमेटी का चेयरमैन बनाया

रणजीत सिंह रंधावा/फिरोजपुर

‘मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है’, ब्रह्मांड में आठों याम ध्वनित हो रहा यह वाक्यांश ऐसे ही नहीं बना। हमारे समाज में जरूरतमंदों के प्रति सेवाभाव रखने वालों की कमी नहीं है। ऐसे ही संत विचार रखने वाले ईश्वरतुल्य लोगों के सम्मान में चलाई गई अपनी खास सीरिज ‘अनूठे संत’ में शब्द चक्र न्यूज आज ऐसी ही एक शख्सियत से मिलवाने जा रहा है, जो पिछले 4 दशक से भी ज्यादा समय से पंजाब के सरहदी क्षेत्र फिरोजपुर में सेवा और समर्पण की प्रतिमूर्ति बने हुए हैं। नाम है केसी अरोड़ा। आइए इस महान शख्सियत के साथ हुई हमारी खास बातचीत से आपका राब्ता कायम करवाते हैं। Video देखें

बता दें कि डॉक्टर केसी अरोड़ा सरहदी जिले फिरोजपुर के शहर और छावनी के इलाकों को जोड़ने वाले रामसेतु का काम करती बस्ती टैंकां वाली के रहने वाले हैं। वह यहीं अपना क्लीनिक चला रहे हैं और इसी के साथ सामाजिक सरोकार को कभी न भूलते। डॉक्टर केसी अरोड़ा पिछले 42 साल से लगातार अनाथ बच्चों को फ्री मैडिकल सेवाएं दे रहे हैं। वह हर रोज आर्य अनाथालय में जाकर बच्चों की जांच करते हैं। यदि किसी बच्चे को ज्यादा दिक्कत हो तो अपने क्लीनिक पर लाकर उसका ट्रीटमैंट करते हैं। बच्चों के प्रति इस भाव को देखते हुए ही उन्हें प्रशासन की ओर से बाल विकास कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है। बतौर कमेटी के चेयरमैन भी उन्होंने हमेशा बालहित को तवज्जो दी है। जुवैनाइल जस्टिस एक्ट के तहत बच्चों के हकों की सुरक्षा के लिए वह हमेशा तत्पर रहते हैं। एक और खास बात यह भी उल्लेखनीय है कि जुवैनाइल जस्टिस एक्ट के अनुसार कुछ बरस पहले उन्होंने सभी अनाथालयों में पत्र लिखे कि कोई फिरोजपुर जिले का बच्चा उनके यहां रहता है तो एक्ट के अनुसार वो हमें सौंप दें ताकि हम उसको यहां रख सकें।

शब्द चक्र न्यूज के साथ अपने अनुभव सांझा करते हुए डॉ. केसी अरोड़ा ने कहा कि डॉक्टर का पेशा केवल कमाई के नहीं होता, इसमें समाजसेवा भी होनी चाहिए। उनका मानना है कि ऐसे बच्चों की सेवा करने से जो उन्हें संतुष्टि मितली है, उसका कोई मोल नहीं है। वह 1981 से लगातार आर्य अनाथालय में अनाथ बच्चों को मैडिकल सेवाएं दे रहे हैं। सभी बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाता है। सभी से काउंसलिंग करके पता लगाया जाता है कि किसी बच्चे को किसी प्रकार की दिक्कत तो नहीं। यदि ऐसा सामने आता है कि उसका ट्रीटमैंट शुरू किया जाता है।

बकौल केसी अरोड़ा, ‘मैं शाम को 4 से 6 बजे तक इन बच्चों को अपनी सेवाएं देता हूं। किसी प्रकार की दिक्कत होने पर अंदर बनी डिस्पैंसरी से ही दवा दे देते हैं, लेकिन कुछ ज्यादा समस्या लगती ताे मैं बच्चे को अपने क्लीनिक पर भी बुला लेता हूं। वहां एकदम प्रॉपर तरीके से उपचार जरूरतमंद बच्चों को दिया जाता है। हालांकि कोरोना वायरस के संक्रमण काल में रोज की बजाय एक दिन छोड़कर आर्य अनाथालय में जाकर बच्चों की मैडिकल जांच के लिए जाता था’।

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