ज्ञान चक्रधर्म चक्र

80 की उम्र में भी 18 साल के जवान सा जोश था इस क्रांतिकारी में; गोली लगी तो तलवार के एक ही वार में काटकर गंगा में फैंका हाथ

नई दिल्ली. सन 1857 की क्रांति को बच्चा-बच्चा जानता है, लेकिन इसमें शामिल रहकर अंग्रेजो के दांत खट्टे करने वाले वीर कुंवर सिंह का नाम शायद ही कोई देशभक्त जानता हो। वह इतने ऊर्जावान थे कि 80 की उम्र में भी किसी 18 साल के युवा से ज्यादा जोश और हिम्मत उनके दिल में थी। 26 अप्रैल को इस वीर का शहादत दिवस है और इस पुण्यस्मृति में शब्द चक्र डिजिटल मीडिया इस महान शख्सियत के बारे में अपने पाठकों को रू-ब-रू करा रहा है। आइए जरा विस्तार से जानते हैं कि आखिर कौन थे वीर कुंवर सिंह…

सन 1857 की क्रांति को बच्चा-बच्चा जानता है, लेकिन इसमें शामिल रहकर अंग्रेजो के दांत खट्टे करने वाले वीर कुंवर सिंह का नाम शायद ही कोई देशभक्त जानता हो। वह इतने ऊर्जावान थे कि 80 की उम्र में भी किसी 18 साल के युवा से ज्यादा जोश और हिम्मत उनके दिल में थी। आज इस वीर के शहादत दिवस पर शब्द चक्र डिजिटल मीडिया इस महान शख्सियत के बारे में अपने पाठकों को रू-ब-रू करा रहा है
अमर स्वतंत्रता सेनानी वीर कुंवर सिंह। शाही ठाठ-बाठ की कहानी कहती एक पुरानी तस्वीर।

अगर इतिहास के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी रखते होंगे तो ध्यान होगा, 29 मार्च 1857 को बंगाल के बैरकपुर छावनी में मंगल पांडेय ने गुलामी से इनकार कर अंग्रेजों पर हमला बोल दिया था। गिरफ्तारी के बाद मुकद्दमा चला और फिर तय वक्त से 10 दिन पहले मंगल पांडेय को चुपचाप फांसी दे दी गई। इस घटना ने देश को अंग्रेजों के खिलाफ खड़ा कर दिया। 13 नवंबर 1777 को राजा भोज के वंश में जन्मे वीर कुंवर सिंह बिहार के शाहाबाद (मौजूदा भोजपुर जिले) की जागीरों के मालिक थे। 27 जुलाई 1857 को दानापुर छावनी से विद्रोह करके आए सैनिकों ने बाबू कुंवर सिंह का नेतृत्व स्वीकार किया। इसके बाद 80 साल के कुंवर सिंह के नेतृत्व में भारतीय सैनिकों ने ब्वायल कोठी यानि आरा हाउस में छिपे अंग्रेजों को पराजित करके यहां कब्जा कर लिया। आरा में अंग्रेजी कर्नल डनबर के मारे जाने की सूचना पर स्टीमर से प्रयागराज जा रहा मेजर विसेंट आयर बक्सर से वापस आरा लौट आया और 2 अगस्त को बीबीगंज के युद्ध जमकर विनाश किया। फिर कुंवर सिंह को हराकर आयर ने 12 अगस्त को जगदीशपुर पर आक्रमण किया और कब्‍जा कर लिया।

‘1857: बिहार में महायुद्ध’ नाम से लिखी गई एक किताब के मुताबिक दो दिन बाद ही 14 अगस्त को कुंवर सिंह ने 1200 सैनिकों के साथ एक महा अभियान चलाया। रोहतास, रीवा, बांदा, ग्वालियर, कानपुर, लखनऊ होते हुए 12 फरवरी 1858 को अयोध्या और 18 मार्च 1858 को आजमगढ़ से 25 मील दूर अतरौलिया नामक स्थान पर आकर डेरा डाल लिया। 22 मार्च को कर्नल मिलमैन को हराकर आजमगढ़ पर कब्‍जा किया। 28 मार्च को मिलमैन की मदद के लिए आए कर्नल डेम्स को भी हार का सामना करना पड़ा। कभी चित्तौड़गढ़ के महाराणा प्रताप द्वारा अपनाई गई छापा मार युद्धनीति के दम पर मुट्‌ठीभर सैनिकों के साथ मिलमैन और डेम्स की करीब साढ़े 3 हजार की आर्मी बुरी तरह पछाड़ा।

इस हार से बेचैन लॉर्ड कैनिंग ने मार्ककेर को युद्ध के लिए भेजा। 500 सैनिकों और आठ तोपों के साथ आए मार्ककेकर के सहयोग के लिए सेनापति कैंपबेल ने एडवर्ड लगर्ड को भी आजमगढ़ पहुंचने का आदेश दिया। तमसा नदी के तट पर भयंकर युद्ध के बाद कुंवर सिंह की फौज ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए। हालांकि खुद भी खासा नुकसान उठाया। कई महीनों तक अंग्रेजी सेना बाबू कुंवर सिंह को खोजती रही। 12 अप्रैल 1858 को गवर्नर जनरल भारत सरकार के सचिव के हस्ताक्षर से घोषणा करवाई गई, ‘बाबू कुंवर सिंह को जो भी जीवित अवस्था में पकड़कर किसी ब्रिटिश चौकी या कैंप में सुपुर्द करेगा, उसे 25 हजार रुपए इनाम का दिया जाएगा’।

इसी बीच 21 अप्रैल 1858 को बाबू कुंवर सिंह जब वापस लौटने लगे तो बलिया के पास किश्ती से गंगा नदी पार कर रही इनकी फौज पर अंग्रेजों ने गोलीबारी शुरू कर दी। ‘भारत में अंग्रेजी राज’ किताब के मुताबिक जब एक अंग्रेज सैनिक की गोली लग गई तो बाबू कुंवर सिंह ने बाएं हाथ से तलवार खींची और घायल दाहिने हाथ को काटकर गंगा में बहा दिया, लेकिन लड़ना नहीं छोड़ा। यह देखकर अंग्रेज सैनिक खौफ में आ गए।

22 अप्रैल को जब कुंवर सिंह के दो हजार साथियों के साथ जगदीशपुर पहुंचने की जानकारी मिली तो 23 अप्रैल को कैप्टन लीग्रैंड ने बेहद आधुनिक राइफलों और तोपों से हमला बोल दिया। इस लड़ाई में अंग्रेजों काे मुंह की खानी पड़ी। कैप्टन लीग्रैंड भी मारा गया। अंग्रेजी खौफ से आजाद हुए जगदीशपुर के लोग खुश थे। इसी बीच कटे हुए हाथ की वजह से बाबू कुंवर सिंह के शरीर में जहर फैल गया और 26 अप्रैल को यह वीर दुनिया को अलविदा कह गया। उनके निधन के बाद छोटे भाई अमर सिंह ने जगदीशपुर की आजादी की रक्षा की।

ये हैं वीर कुंवर सिंह के मान की बड़ी बातें

विनायक दामोदर सावरकर ने अपने अमर ग्रंथ ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ में जिन सात योद्धाओं के नाम से अलग खंड लिखा था, उसमें से एक एक खंड बाबू कुंवर सिंह और उनके छोटे भाई अमर सिंह पर था। उधर, अंग्रेजों ने भी वीर कुंवर सिंह की तारीफ की है। ‘टू मंथ्स इन आरा’ नाम से आई किताब के लेखक डॉ. जान जेम्स हाल ने आरा हाउस का आंखों देखा दृश्य लिखा, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि कुंवर सिंह ने ‘व्यर्थ की हत्या नहीं करवाई। कोठी के बाहर जो ईसाई थे, वे सब सुरक्षित थे।

फिर आजाद भारत के इतिहास की बात करें तो 23 अप्रैल 1966 को भारत सरकार ने बाबू वीर कुंवर सिंह के सम्‍मान में एक स्‍मारक टिकट जारी की। 1992 में बिहार सरकार ने आरा में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय की स्थापना की। 2017 में वीर कुंवर सिंह सेतु बनाया, जिसे आरा-छपरा ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है। 2018 में बिहार सरकार ने हार्डिंग पार्क में वीर कुंवर सिंह की प्रतिमा लगवाकर पार्क को आधिकारिक रूप से ‘वीर कुंवर सिंह आजादी पार्क’ बना दिया।

Show More

Related Articles

Back to top button
Hacklinkbetsat
betsat
betsat
holiganbet
holiganbet
holiganbet
Jojobet giriş
Jojobet giriş
Jojobet giriş
casibom giriş
casibom giriş
casibom giriş
xbet
xbet
xbet
kavbet
extrabet
extrabet giriş
deneme bonusu veren bahis siteleri
casino siteleri
deneme bonusu veren siteler
casibom
casibom giriş
casibom
casibom giriş
Sightcare
gamdom
en iyi casino siteleri
sahabet
grandpashabet
fethiye escort
fethiye escort
child porn
child porn
fethiye escort
child porn
fethiye escort bayan
escort fethiye
child porn
göcek escort
child porn
fethiye escort
child porn
child porn
child porn
deneme bonusu veren siteler
deneme bonusu veren siteler
deneme bonusu veren siteler
https://www.oceancityboardwalkhotels.com/
https://guvenilir-secilmis-liste.com/
canlı casino
Alanya escort
jojobetdeneme bonusu veren sitelerfethiye escortfethiye escortesenyurt escortesenyurt spaesenyurt spabeylikdüzü spaavcılar masaj salonucasibombakırköy masaj salonubeylikdüzü spabaşakşehir masaj salonuavcılar spaspaesenyurt spabeylikdüzü spaavcılar spabahçeşehir masaj salonuşirinevler masaj salonubeylikdüzü masaj salonubeylikdüzü masaj salonuesenyurt masaj salonubeylikdüzü masaj salonuesenyurt masaj salonuavcılar masaj salonujojobet güncel girişcasibomcasibom girişfixbet girişfixbetfixbet 2025 güncel girişjojobetjojobetjojobetnakitbahis güncel girişesenyurt escortjojobetdeneme bonusu veren sitelerfethiye escortfethiye escortesenyurt escortesenyurt spaesenyurt spabeylikdüzü spaavcılar masaj salonucasibombakırköy masaj salonubeylikdüzü spabaşakşehir masaj salonuavcılar spaspaesenyurt spabeylikdüzü spaavcılar spabahçeşehir masaj salonuşirinevler masaj salonubeylikdüzü masaj salonu
eskişehir web sitesiseo fiyatlarıMedyumAntika alanlarAntika alanlarAntika alanlarAntika alanlarAntika Eşya alanlarAntika Eşya alanlarantikaweb sitesi yapımıAntika mobilya alanlarAntika mobilya alanlardijital danışmanlıkmarsbahisantika alımıgoogle ads çalışmasıEskişehir Web Tasarımtoroslar evden eve nakliyatİstanbul İzmir Evden Eve Nakliyatİstanbul Ankara evden eve nakliyatMalatya halı yıkamamersin evden eve nakliyatİstanbul Ankara evden eve nakliyateskişehir web sitesiseo fiyatlarıMedyumAntika alanlarAntika alanlarAntika alanlarAntika alanlarAntika Eşya alanlarAntika Eşya alanlarantikaweb sitesi yapımıAntika mobilya alanlarAntika mobilya alanlardijital danışmanlıkmarsbahisantika alımıgoogle ads çalışmasıEskişehir Web Tasarımtoroslar evden eve nakliyatİstanbul İzmir Evden Eve Nakliyatİstanbul Ankara evden eve nakliyatMalatya halı yıkamamersin evden eve nakliyatİstanbul Ankara evden eve nakliyat