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सरहद पर राज्यपाल की हत्या की साजिश! फिरोजपुर प्रशासन ने टॉफियों की तरह बांटे बिना फोटो और नाम-पते के Visitor Pass; क्या आतंकी नहीं कर सकते थे इस्तेमाल

  • दो दिन पंजाब के सीमावर्ती जिलों गुरदासपुर, फिरोजपुर और फाजिल्का में गांवों के दौरे पर थे राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित
  • 4 महीने पहले नशा तस्करी पर नकेल कसने में नाकाम बताकर पंजाब की भगवंत मान सरकार को घेरा था गवर्नर पुरोहित ने

फिरोजपुर. पंजाब के सरहदी जिला फिरोजपुर के प्रशासन की एक घोर लापरवाही सामने आई है। यहां प्रदेश के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित (BL Purohit) की सुरक्षा के साथ जान-बूझकर खिलवाड़ किया गया है, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। गजब की बात है कि राज्यपाल से मिलने वालों को जिला प्रशासन ने विजिटर पास (Visitor Pass) एकदम टॉफियों की तरह बांटे, जिन पर न तो मिलने वाले का नाम-पता था और न ही फोटो। पास पर अगर कुछ था तो सिर्फ अफसरों के दस्तखत और मोहर। सोचने वाली बात है कि क्या इस तरह के पास का कोई आतंकी या फिर भीतरघाती अपने मतलब के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकता है। गनीमत रही कि ऐसा कुछ नहीं हुआ, वरना तो फिरोजपुर प्रशासन के पास सिवाय माथा पीटने के कोई चारा नहीं बचता। इतना ही नहीं, एक और हैरानी की बात तो यह भी है कि राज्यपाल के दौरे से मीडिया के साथियों को दूर ही रखा गया था। बाद में जिला लोक संपर्क अधिकारी की तरफ से उनके दौरे संबंधी जानकारी सांझा की गई, जिस पर दबी जुबान में लोगों को सवाल उठाते देखा गया कि यह राजनीति से प्रेरित था। इसकी पटकथा आम आदमी पार्टी के सांसद संदीप पाठक के ऑफिस में बैठकर लिखी गई थी। यह अल बात है कि प्रशासन के पास इस सबको लेकर कोई वाजिब जवाब नहीं है।

बता दें कि गवर्नर पंजाब बनवारी लाल पुरोहित (BL Purohit) बुधवार और गुरुवार को प्रदेश के सीमावर्ती गांवों के दौरे पर थे। गुरुवार को उन्होंने गुरदासपुर, फिरोजपुर और फाजिल्का जिलों के सीमांत ग्रामीणों से मिलकर उनकी दुख-तकलीफें जानी। राज्यपाल पुरोहित का यह दौरा उस वक्त विवाद में आ गया, जब फिरोजपुर जिला प्रशासन की तरफ से यहां उनसे (राज्यपाल से) मिलने वाले लोगों को दिए गए बिना फोटो और नाम-पते के पास सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। राज्यपाल के दौरे में एक और उल्लेखनीय पहलू यह भी है कि फिरोजपुर जिला प्रशासन ने मीडिया से दूरी बनाकर रखी। स्थानीय स्तर पर मीडिया के किसी साथी को न बुलाकर जिला लोक संपर्क अधिकारी की तरफ से उनके इस दौरे संबंधी जानकारी सांझा की गई। इस घटनाक्रम का एक ओर स्थानीय मीडिया की तरफ से बायकॉट कर दिया गया, वहीं इलाके में चर्चाओं का दौर गर्म है। सबसे बड़ा चर्चा का विषय राज्यपाल पुरोहित की सुरक्षा में चूक है।

सुरक्षा में चूक को लेकर इलाके में चर्चाओं का दौर गर्म

इस चूक को लेकर इलाके में खूब चर्चा हो रही है कि बिना जानकारी का विजिटर पास जारी करने के पीछे जरूर किसी साजिश का हिस्सा जिम्मेदार रहा होगा। इसका कोई भी संदिग्ध आतंकी बड़ी आसानी से गलत इस्तेमाल कर सकता था। दूसरी ओर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बॉर्डर एरिया में राजनेताओं, पुलिस और माफिया की मिलीभगत पर खुलकर बोलने वाले राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित की हत्या के लिए यह जाल बुना गया हो। ऐसा सोचने के पीछे भी एक वजह राज्यपाल का प्रदेश की राजनीति, ड्रग माफिया और पुलिस तंत्र के जाल के खिलाफ खुलकर बोलना है, वहीं पहले ऐसी घटना हो चुकी है। जब पंजाब में महीनों पहले देश के प्रधानमंत्री की जान को खतरा पैदा हो सकता है तो फिर राज्यपाल के साथ भी ऐसी किसी साजिश की बात से किसी भी सूरत में इनकार नहीं किया जा सकता।

4 महीने पहले राज्यपाल ने कही थी ये बात, जो लग सकती है संदिग्धों को कड़वी

गौरतलब है कि करीब 4 माह पहले राज्य के सीमांत इलाके का दौरा राज्यपाल पुरोहित ने किया था। उस वक्त उन्होंने पंजाब की भगवंत मान सरकार को घेरते हुए राज्य के स्कूलों में भी ड्रग्स पहुंचने बारे के में कहा था। बताया था कि जनरल स्टोर पर मिलने वाले आटा-दाल आदि की तरह नशा खुलेआम बिक रहा है। उन्होंने कहा था, ‘बॉर्डर पर सख्ती के बावजूद पाकिस्तानी तस्कर चोर रास्तों से नशे की सामान इस तरफ पहुंचा रहे हैं। नशा तस्करी पर लगाम लगाने को पंजाब सरकार के पास पर्याप्त संसाधन नहीं होने और ऐसे में केंद्र सरकार से खुलकर मदद मांगकर इस दिशा में कारगर कदम उठाने की राय राज्यपाल ने दी थी।

उधर, बात करें हालिया दौरे की तो गवर्नर के सरहदी इलाकों के दौरे पर निकलने के बाद AAP मंत्रियों ने सवाल खड़े किए थे। मंत्रियों द्वारा सवाल उठाने पर राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने कहा- मंत्री क्या बोलते हैं, इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। इसके पीछे राजनैतिक कारण हो सकते हैं। मैं राजनीति नहीं करता। मैं अपना काम कर रहा हूं। जहां अच्छे काम होते हैं, मैं वहां पुलिस व प्रशासन की तारीफ भी करता हूं। जहां कमी दिखेगी, मैं बोलूंगा। चाहे किसी को अच्छा लगे या बुरा। ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि राज्यपाल से लोकल राजनीति, नशा माफिया और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार पुलिस विभाग की कुछ काली भेड़ें खार नहीं खाए हुए हैं। प्रशासन और सरकार को इस बात की गहनता से जांच करनी चाहिए कि प्रशासन में ऐसी कौन सी काली भेड़ें हैं, जो राजनेताओं और नशा माफिया के इशारों पर चलती हैं।

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