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Nurse की मौत के बाद 80 लाख के बीमा क्लेम के लिए कुत्ते को बना डाला जीप; 10 साल पुराने मामले में 5 मिनट पहले लगी अर्जी ने ऐसे बदला फैसला

जयपुर. फिल्मों और हमारे सामाजिक परिवेश में बहुत गहरी समानता है। दोनों एक-दूसरे के पूरक भी हैं और दोनों एक-दूसरे को देखकर बदलते हैं। हाल ही में राजस्थान से एक बड़ा ही रोचक मामला सामने आया है, जो पुलिस और कोर्ट की कार्यशैली पर आधारित फिल्म जॉली एलएलबी (Jolly LLB) से एकदम मैच करता है। बड़ी हैरान कर देने वाली बात है कि 80 लाख रुपए के लालच में कुत्ते से टकराकर मरे एक शख्स की मौत को घर वालों और पुलिस ने गाड़ी से टकराने (Hit and Run) की वजह से हुआ दिखा दिया। 10 साल मामला कोर्ट में चला और फैसला आने से ऐन 5 मिनट पहले लगी एक याचिका ने सारा खेल ही बदल दिया।

दरअसल, 10 अगस्त 2011 को झुंझुनू जिले के छापोली (उदयपुरवाटी) निवासी दिनेश कुमार पुत्र बंशीधर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि सुबह 9 बजे चिराना CHC में नर्सिंग स्टाफ में सेवारत उसका भाई रमेश रोहिला मोटरसाइकल पर सीकर से चिराना ड्यूटी के लिए जा रहा था। रास्ते में रामपुरा रोड पर बस स्टैंड के पास किसी वाहन ने उसे टक्कर मार दी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

दादिया थाने में IPC की धारा 279 और 304-ए के तहत दर्ज मुकदमा नंबर 288/11 की जांच ASI हरिसिंह ने की। पोस्टमॉर्टम के बाद मौके की रिपोर्ट तैयार की गई। गवाहों के बयानों में सामने आया कि रमेश रोहिला 10 अगस्त 2011 को सुबह 9 बजे सीकर से उदयपुरवाटी साइड से बाइक RJ02 10M 3190 से ड्यूटी जा रहा था तो रामपुरा बस स्टैंड से करीब 100 कदम पहले रघुनाथगढ़ की साइड में पहुंचने पर सामने एक कुत्ता आ गया। कुत्ते को बचाने की कोशिश में रमेश सड़क पर गिर गया और उसके सिर में काफी चोट लगी। उसी की वजह से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। एंबुलैंस ने उसकी लाश को ले जाने से इनकार कर दिया तो ग्रामीणों ने उसे सड़क पर रखकर जाम लगा दिया। ASI हरिसिंह ने जांच में बाइक के कुत्ते के सामने आने पर एक्सीडेंट मानते हुए FR लगा कर कोर्ट में 17 नवम्बर 2011 को पेश कर दी। पीड़ित पक्ष ने जांच अधिकारी बदलकर दोबारा निष्पक्ष जांच कराने की अपील की तो जांच ASI बनवारी लाल को सौंप दी गई।

बनवारी लाल ने मौके का दोबारा मुआयना करके, मृतक के परिजनों के कहने पर तैयार किए गए गवाह के बयानों के आधार पर जांच रिपोर्ट में RJ21U0392 नंबर की मार्शल गाड़ी से एक्सीडेंट होना दिखा दिया। इस रिपोर्ट में दर्ज नागौर RTO और झुंझुनू से गाड़ी के रिकॉर्ड के मुताबिक मार्शल जीप के 22 वर्षीय चालक सुभाषचंद पुत्र महलाराम बलाई निवासी बासड़ी, मालसीसर को एक्सीडेंट में आरोपी माना। तत्कालीन SI मदनलाल कड़वासरा से 25 फरवरी 2014 को चालान पेश करने के आदेश लिए। फिर कोर्ट में 28 अप्रैल 2014 को आईपीसी 279, 304ए में चार्जशीट नंबर 31 पेश कर दी। बीमा कंपनी ने CID जयपुर में लगाई याचिका मार्शल गाड़ी से एक्सीडेंट होने की बात सामने आने पर बीमा कंपनी ने एडीजी CID CB के पास याचिका पेश की और कहा कि बीमा क्लेम उठाने के लिए हादसे को बदलने की कोशिश की गई है।

एडीजी CID CB के आदेश पर DSP ग्रामीण अयूब खां की जांच में गवाह हरिलाल और दुर्गा प्रसाद ने पहले के दिए बयानों के आधार पर ही कुत्ते से एक्सीडेंट बताया, लेकिन ASI बनवारी लाल ने मार्शल गाड़ी से एक्सीडेंट होना बता दिया था। दोनों खुद के ही बयानों को पलटते रहे। कालूराम और मनोज कुमार से पहले बयान नहीं हुए थे। इन दोनों को सैटिंग करके तैयार किया गया था। इसी के चलते दोनों घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सके। महावीर सिंह ने पहली और तीसरी जांच में कुत्ते से एक्सीडेंट होने की बात कही, जिसके बयान दूसरे जांच अधिकारी ASI बनवारी ने नहीं लिए थे, क्योंकि वह अपने बयानों को पलटना नहीं चाहता था।

डीएसपी अयूब खां ने जांच करने के बाद सीकर एसपी को 19 जून 2018 को जांच रिपोर्ट सौंप दी, लेकिन रिपोर्ट ऑफिस में ही पड़ी रही। इधर, फर्जी क्लेम के लिए SI मदनलाल कड़वासरा ने ASI बनवारी लाल के साथ मिलकर जांच रिपोर्ट बदलवाई और कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दी। इस मामले में 10 साल में कोर्ट में 77 तारीखें पड़ी। तमाम गवाहों और सबूतों की बिनाह पर शायद कोर्ट मार्शल जीप के मालिक को दोषी 304ए में दो साल की सजा कर देती, लेकिन फैसले से ठीक 5 मिनट पहले एपीपी ने 5 साल पुरानी जांच का लैटर साथ लगाकर कोर्ट में एक याचिका पेश कर दी। आखिर जज को फैसला टालना पड़ा।

जहां तक इस फर्जीवाड़े के पीछे की वजह की बात है, मृतक राहुल सैकंड ग्रेड नर्सिंग इम्पलॉई था। उसकी सैलरी 50 हजार रुपए थी और घटना के समय उसकी उम्र 40 साल थी। अगर जिंदा रहता तो 20 साल नौकरी करता, जिसके हिसाब उसका सवा करोड़ रुपए का क्लेम बनता है। हर महीने 10 हजार रुपए खर्च भी निकाल दें तो करीब 80 लाख रुपए क्लेम मिल सकता था। इसी को हथियाने के लिए उसके परिवार ने पुलिस वालों के साथ मिलीभगत की। इसके अलावा इस मामले में खास बात यह भी है कि 2014 में कोर्ट में चालान पेश होने के बाद से अब तक 6 जज बदले जा चुके है, वहीं पहली जांच करने वाले ASI बजरंग लाल और दूसरी जांच करने वाले ASI बनवारी लाल के बयान हुए, तब दोनों रिटायर हो चुके थे।

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