भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जालंधर के MP संतोख चौधरी की मौत; तमिलनाडु की सांसद ज्योति से पूछा How Are You और गिर पड़े जमीन पर
जालंधर. पंजाब के जालंधर में शनिवार को मकर संक्रांति के त्यौहार के दिन बड़ी घटना घट गई। यहां कॉन्ग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान आज सुबह-सुबह पार्टी के जालंधर के सांसद संतोख चौधरी की मौत हो गई। घटना उस वक्त की है, जब राहुल की यात्रा लुधियाना के लाडोवाल टोल प्लाजा से फगवाड़ा की तरफ जा रही थी। 76 साल के संतोख चौधरी राहुल से कुछ दूरी पर चल रहे थे। लगभग 300 मीटर चलने के बाद 8 बजकर 25 मिनट सांसद चौधरी अचानक रुककर बैठ गए। लोगों ने उठाया तो नौबत अस्पताल ले जाने की आ चुकी थी। 8 बजकर 45 मिनट पर रास्ते में ही उनकी सांसें थम गई।
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर राजा वड़िंग ने कहा कि सुबह चौधरी संतोख सिंह पूरी तरह से ठीक थे। खुद वह स्टेज पर नारे लगा रहे थे। मैं हाथ पकड़कर उन्हें स्टेज से नीचे लाया। वह राहुल जी के साथ चले। तमिलनाडु से सांसद ज्योति यहां आई थीं। उनसे बात कर रहे थे। चौधरी संतोख सिंह ने कहा … ज्योति हाऊ आर यू… और ऐसा कहते-कहते वह गिर गए। डॉक्टर ने कहा कि उन्हें सडन हार्ट फेलियर हुआ।
फगवाड़ा के विर्क अस्पताल के डॉक्टर जसजीत सिंह विर्क ने बताया कि करीब आधे घंटे पहले चौधरी संतोख सिंह को हमारे पास लाए थे। वह कोलैप्स्ड स्टेज में थे। उनके साथ डॉक्टरों की टीम भी थी। रास्ते में भी उन्हें रिवाइव करने की कोशिश की गई। यहां लाने पर भी हमने कोशिश की, लेकिन उन्हें बचा नहीं सके। अभी कोई पुख्ता कारण सामने नहीं आया है, लेकिन इस सडन कार्डियक अरैस्ट की वजह ठंड भी हो सकती है। उन्हें पहले भी कोई प्रॉब्लम हो सकती है। एज फैक्टर भी इसमें अहम है।
राजनैतिक गलियारों में शोक की लहर
सांसद संतोख चौधरी के निधन की खबर फैलते ही राजनैतिक गलियारों में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान समेत कई नेताओं ने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर सांसद चौधरी को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा रविवार तक रोक दी है। सांसद के पैतृक गांव धालीवाल में उनके अंतिम संस्कार के बाद फिर से शुरू होगी।
यह था संतोख का राजनैतिक सफर, मोदी लहर में बने थे दोबारा सांसद
पंजाब के पहले शिक्षामंत्री मास्टर गुरबंता सिंह के बेटे संतोख चौधरी ने 1978 में अपना राजनीतिक सफर पंजाब युवा कांग्रेस नेता के तौर पर शुरू किया। 1978 से 1982 तक वह पंजाब युवा कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहे। 1987 से 1995 तक जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के अध्यक्ष बने। 1992 में पहली जीत दर्ज करने के बाद पंजाब कांग्रेस विधायक दल के महासचिव के रूप में चुने गए। 1992 से 1995 तक ग्रामीण विकास और पंचायतों के प्रभारी, संसदीय कार्य और विद्युत विभाग के मुख्य संसदीय सचिव बने। बाद में उन्हें पंजाब सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री, कैबिनेट मंत्री रहे। 1997 में पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव चुने गए। 2002 में उन्होंने फिर से फिल्लौर विधानसभा सीट से जीत दर्ज की तो कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के समय उन्हें कैबिनेट मंत्री सामाजिक सुरक्षा, महिला और बाल विकास, समाज कल्याण, चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान विभाग विभाग सौंपे गए। 2004 से 2010 तक वह पंजाब प्रदेश कॉन्ग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष रहे। 2014 में जालंधर लोकसभा क्षेत्र से शिरोमणि अकाली दल के पवन कुमार टीनू को हरा वह 16वीं लोकसभा का हिस्सा बने। 1 सितंबर 2014 को सामाजिक न्याय और अधिकारिता संबंधी स्थायी समिति औार शहरी विकास मंत्रालय, आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन परामर्शदात्री समिति के सदस्य बने। 14 अगस्त 2014 को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण संबंधी समिति के सदस्य बने। उनके राजनैतिक कद का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि 2019 में प्रचंड मोदी लहर के दौरान भी उन्होंने दूसरी बार जीत हासिल की। उनके पुत्र विक्रमजीत सिंह चौधरी फिल्लौर के विधायक हैं।