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Birthday Special: ये है संग्राम के संग्राम की कहानी, 8 साल Wheelchair पर रहने के बाद कुश्ती में पाया बड़ा मुकाम; जीते Death Warrent

रोहतक. पिछले कुछ बरसों से दुनियाभर में योग का चलन यूं ही नहीं बढ़ा। इसमें बहुत दम है। दुनिया को योग की ताकत से रू-ब-रू कराने के लिए हरियाणा की दो हस्तियों बाबा रामदेव और पहलवान संग्राम सिंह (Wrestler Sangram Singh) की जिंदगी से बड़ा उदाहरण कोई और हो ही नहीं सकता। आज संग्राम सिंह के जन्मदिन (Sangram Singh’s Birthday) के मौके पर शब्द चक्र न्यूज आपको इनके जीवनसंग्राम की कहानी से रू-ब-रू करा रहा है। आइए जानते हैं कि कैसे वह एक लंबे वक्त तक व्हीलचेयर पर रहे और फिर योग के जरिये न सिर्फ ठीक हुए, बल्कि कुश्ती में एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया…

सबसे पहले बात आती है संग्राम सिंह के जन्म और परिवार की। इनका बचपन का नाम संजीत है। संजीत सिंह उर्फ संग्राम सिंह का जन्म 21 जुलाई 1985 को हरियाणा के रोहतक जिले के गांव मदीना में हुआ था। पिता उमेद सिंह (रिटायर्ड फौजी) और मां रामोदेवी के घर में हुआ था। उमेद सिंह ने 1992 से 2009 तक पीएम हाउस में अपनी ड्यूटी के दौरान इंद्र कुमार गुजराल, एचडी देवेगौड़ा, पीवी नरसिम्हा राव, अटल बिहारी बाजपेयी और मनमोहन सिंह का कार्यकाल देखा है। संजीत रूमेटोइड गठिया की वजह से डॉक्टर्स ने कंप्लीट रैस्ट दे दिया। इसके बाद संजीव की जिंदगी के पहले 8 साल व्हीलचेयर पर ही गुजरे। फिर प्राकृतिक चिकित्सा, योग और परिवार के हौसले रंग लाए और संजीत पूरी तरह ठीक हो गए। इसके बाद संजीत ने अपना लक्ष्य कुश्ती को बना लिया।

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1999 में करीब 14 साल की उम्र में कुश्ती खेलना शुरू करने के बाद संजीत ने दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व किया और कांस्य पदक हासिल किया। उन्होंने 2000 में हरियाणा कुमार टाइटल ऑफ रैसलिंग, 2003 में नेशनल चैंपियनशिप जीती। 2006 में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में जॉन रिट्ज बिग फाइव इंटरनेशनल टूर्नामेंट में गोल्ड मैडल हासिल किया। 2008 में शेर-ए-हिंद टाइटल और 2009 में फिर से मिस्टर हरियाणा टाइटल जैसे अनेक खिताब जीते। 2010 में यूथ एसोसिएशन इंडिया एंड इंटरनेशनल बॉडी बिल्डिंग में राजीव गांधी पुरस्कार, राजीव गांधी राष्ट्रीय एकता सम्मान अपने नाम किए। वर्ल्ड रेसलिंग प्रोफेशनल्स (WWP) में कंधे में फ्रैक्चर की वजह से संजीत हार गए। यह वही कुश्ती थी, जब इन्हें संग्राम सिंह नाम मिला था। 2012 में सर्वश्रेष्ठ भारतीय खिलाड़ी के लिए छत्रपति शिवाजी पुरस्कार जीता। इसी के साथ 2012 में विश्व कुश्ती पेशेवरों, दक्षिण अफ्रीका द्वारा अपनी शैली, सहनशक्ति और कुश्ती की प्रकृति के लिए विश्व के सर्वश्रेष्ठ पेशेवर पहलवान का खिताब जीता।

उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के पोर्ट एलिजाबेथ में दो बार (2015 और 2016) कॉमनवैल्थ हैवीवेट चैंपियनशिप जीती। इसे डैथ वारंट कहते हैं। संग्राम ने जुलाई 2015 में दक्षिणी अफ्रीका के नैल्सन मंडेला स्टेडियम में डैथ वारंट साइन किया था। इसमें कनाडा के रैसलर जो लेजेंड को हराकर ऐसी फाइट जीतने वाले संग्राम देश के पहले प्रोफैशनल रैसलर बने। डैथ वारंट का मतलब यह होता कि अगर रिंग के अंदर रैसलर को चोट लगती है या उसकी मौत हो जाती है तो उसके लिए किसी भी तरह से वर्ल्ड रैसलिंग प्रोफैशनल फैडरेशन जिम्मेदार नहीं होता। इस जीत के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में उनका अभिनंदन किया। उन्होंने 2016 में पहलवान अनाजी को हराकर इसके लिए अपना दूसरा स्थान हासिल किया।

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रूपहले पर्दे पर भी छाया संग्राम का नाम, मॉडल पायल से हुआ प्यार और शादी

इसके अलावा रूपहले पर्दे पर ‘नच्च बल्लिए-7’, ‘सर्वाइवर इंडिया– द अल्टीमेट बैटल’, ‘खतरों के खिलाड़ी सीजन 3’, ‘100%–दे धना धन, ‘सच्चा का सामना’, बिग बॉस सीजन-7 टीवी धारावाहिक ‘सुपरकॉप्स बनाम सुपरविलेन्स’, ‘सिम्पली बातें विद रवीनाश’, ‘ताऊ और भाऊ’, ‘रियो टू टोक्यो: विज़न 2020’ आदि में भी दमदार भूमिका निभाई है। उन्हें आयुष मंत्रालय, एनडीएमसी और आईआईटी दिल्ली द्वारा गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में दिल्ली आमंत्रित किया गया था, जहां उन्होंने युवाओं को प्रेरक भाषण दिया। गांव के लोग आज भी संजीत को प्यार से ‘बाणिया’कहते हैं। हाल ही में 9 जुलाई को 36 साल के रैसलिंग फाइटर संजीत सिंह उर्फ संगाम सिंह ने अपने से एक साल बड़ी और 12 साल पुरानी प्रेमिका पायल रोहतगी के साथ शादी की है। इनकी प्रेम कहानी अब से 12 साल पहले आगरा-मथुरा हाईवे से ही शुरू हुई थी, पायल की गाड़ी खराब हो गई थी। वहां से गुजर रहे रोहतक जिले के मदीना निवासी संजीत सिंह उर्फ संग्राम सिंह ने पायल को अपनी कार से दिल्ली तक लिफ्ट दी थी। इसके बाद दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी और दोनों ने करने का मन बना लिया।

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