Uttar Pradesh

World Cycle Day: नेता जी ने कभी जुए में जीता था साइकल, इसलिए बना SP का चुनाव निशान

लखनऊ. World Cycle Day: आज वर्ल्ड साइकल-डे है और इस खास मौके पर शब्द चक्र न्यूज आपको साइकल से जुड़ी दिलचस्प कहानियों से रू-ब-रू करा रहा है। यह द्विचक्रिका वाहन कभी जीवन का अहम हिस्सा होता था, धीरे-धीरे वक्त बदला तो लोग साइकल से मोटरसाइकल और कार पर आ गए। अब फिर से माहौल बदल रहा है तो लोग एक बार फिर साइकल पर ही चलना पसंद करने लग गए हैं। वजहें सबकी अपनी-अपनी हैं। कोई डीजल-पैट्रोल महंगा होने के चलते तो कोई बढ़ते प्रदूषण के बीच खुद को सेहतमंद रखने के लिए साइकल का सहारा लेने लग गया है। बात करें उत्तर प्रदेश की तो यहां साइकल सिर्फ एक वाहन नहीं है, बल्कि यह सियासत की सीढ़ी भी है। यहां कई नेता साइकल का हैंडल थामकर सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे हैं। इनमें एक नाम समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का भी है। आइए मुलायम सिंह की साइकल से जुड़ी कहानी के बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं…

बात 1960 की है, जब मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के इटावा में कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। रोज करीब 20 किलोमीटर आना-जाना बड़ा टेढ़ा काम था। घर की आर्थिक हालत इतनी ठीक नहीं थी कि वह एक साइकल खरीद पाते, इसलिए वह मन मसोसकर रह जाते थे, लेकिन वक्त बदला।

World Cycle Day: नेता जी ने कभी जुए में जीता था साइकल, इसलिए बना SP का चुनाव निशानआत्मकथा (Autobiography) पर आधारित फ्रैंक हुजूर (Frank Huzur) की किताब द सोशलिस्ट (The Socialist) के मुताबिक एक दिन किसी काम से मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) अपने बचपन के दोस्त रामरूप के साथ उजयानी गांव पहुंचे। दोपहर में गांव की बैठक में कुछ लोग ताश खेल रहे थे। मुलायम और रामरूप भी खेलने लग गए, वहीं गांव गिंजा के आलू कारोबारी लाला रामप्रकाश गुप्ता भी इस खेल में शामिल थे। गुप्ता जी ने खेल में शर्त रख दी कि जो भी जीतेगा उसे रॉबिनहुड साइकल दिया जाएगा। मुलायम के लिए गुप्ता की शर्त उनका सपना पूरा करने का जरिया बनी। मुलायम ने बाजी जीती और इसी के साथ रॉबिनहुड साइकल भी।

मुलायम साइकल पर ऐसे सवार हुए कि जब 4 नवंबर 1992 को समाजवादी पार्टी बनी तो उन्होंने पार्टी का चुनाव निशान भी साइकल को ही रखा। इस बारे में सपा के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे उत्तराखंड के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सत्यनारायण सचान ने कहा कि तीन बार विधायक बनने के बाद भी मुलायम सिंह यादव ने 1977 तक साइकल की सवारी की।

बाद में पार्टी के किसी अन्य नेता ने पैसा इकठ्ठा किया और इनके लिए एक कार खरीदी। उनका कहना है कि साइकल का चिह्न गरीबों, दलितों, किसानों और मजदूर वर्गों को दर्शाता है। जिस तरह से समाज और समाजवादी चलते रहते हैं, उसके दो पहिये खड़े होते हैं, जबकि हैंडल बैलेंस करने के लिए होता है।

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