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VIDEO: हरनंदी से भी बड़ी दुखियारी मीरा भाई की समाधि पर करके आई टीका, फिर भगवान श्रीकृष्ण बनकर पूरा गांव आया भात भरने

  • हरियाणा के फतेहाबाद जिले में स्थित गांव जांडवाला बागड़ की है घटना, विधवा मीरा के भाई संतलाल ने ले लिया था संन्यास, निधन के बाद गांव वालों ने बनाई समाधि

  • राजस्थान के नेठराना में भाई की समाधि पर टीका करके फूट पड़ी मीरा; ढोल-नगाड़े लेकर पहुंचे गांव के 500 से ज्यादा महिला-पुरुषों ने मिलकर भरा 10 लाख रुपए का भात

फतेहाबाद. सदियों से नरसी का भात पूरी दुनिया के लिए बड़ी मिसाल है, लेकिन हरियाणा के फतेहाबाद में घटी एक घटना नरसी के भात से भी बड़ी मिसाल बन गई। यहां गांव जांडवाला बागड़ की मीरा नामक एक विधवा दो बेटियों की शादी से पहले राजस्थान में पड़ते अपने मायके में अपने दिवंगत भाई की समाधि पर टीका करके आई थी। इसके बाद गांव के 500 से भी ज्यादा महिला-पुरुष ढोल-नगाड़े के साथ भात भरने पहुंचे। मायके से आए लोगों को देखकर मीरा की आंखें भर आई। वहीं, एक और खास बात यह भी रही कि टीका करने की रस्म में ही पूरे 5 घंटे का वक्त लग गया। अब हर कोई इस अनूठे भात की मिसाल दे रहा है। देखें ये VIDEO

मिली जानकारी के अनुसार बरसों पहले राजस्थान के नेठराना के जोरा राम बैनीवाल की बेटी मीरा की शादी हरियाणा के फतेहाबाद जिले में पड़ते गांव जांडवाला बागड़ के महावीर माचरा के साथ हुई थी। शादी के बाद उसे दो बेटियां हुई। पति की मौत के बाद उसने बड़ी मुश्किल से अपनी दोनों लाडलियों को पाला-पोषा। दूसरी तरफ मीरा के भाई संतलाल ने संन्यास ले लिया था। न सिर्फ उसके माता-पिता की, बल्कि संतलाल की मौत हो गई तो ग्रामीणों ने गांव में ही उसकी समाधि बना दी।

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बुधवार को उसकी दोनों बेटियों की शादी थी। बताया जा रहा है कि मीरा अपने पीहर नेठराना में भात न्योतने गई थी। अपना कोई जिंदा नहीं होने की वजह से वह सीधे भाई की समाधि पर गई और वहां टीका करके सुबक उठी। गांव वालों से उसकी यह हालत देखी नहीं गई और फिर गांव से 500 से भी ज्यादा महिला-पुरुष ढोल-नगाड़े लेकर मीरा के घर भात भरने पहुंच गए। पीहर से भाती बनकर आए लोगों को देखकर न केवल मीरा भावुक थी, बल्कि वहां मौजूद हर शख्स भावविभोर हो गया।

भाती बोले-गांव की बेटी नहीं, बल्कि महाराज श्री 1008 निक्कूदास के शिष्य संत लाल महाराज की बहन का भात है ये

इस शादी में मायका पक्ष की तरफ से गांव ने 5 लाख 84 हजार रुपए नकद, सोने-चांदी के गहने, कपड़े, 10 बिस्तर, 11 कंबल और अन्य सामान दिया है। इसके अलावा हजारों रुपए की टीका के दौरान टीकावणी बान अलग से आई। ग्रामीणों ने भात में करीब 10 लाख रुपए का खर्च किया। पहले गाड़ियों का काफिला देखकर ग्रामीण हैरान रह गए, फिर भातियों को टीका कर गृह प्रवेश कराने में ही करीब 5 घंटे लग गए। जांडवाला बागड़ और आसपास के गांवों में ऐसा भात कभी नहीं भरा गया, जिसमें श्रीकृष्ण के रूप में पूरा गांव ही उमड़ पड़ा। एक ओर भात भरने पहुंचे लोगों ने कहा कि यह केवल अपने गांव की बेटी का भात नहीं है, बल्कि महाराज श्री 1008 निक्कूदास के शिष्य संत लाल महाराज की बहन का भात है, इसलिए जिससे जो सहयोग बन पाया, उसने उतना भात में दिया। दूसरी ओर लोगों को कहते सुना जा सकता है कि नरसी भगत की कहानी सिर्फ सुनी थी, लेकिन सच होती अब सबने देखी है।

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