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तौबा-तौबा! Doctors इसलिए लिखते हैं महंगी-महंगी दवाइयां; Dolo ने बांटे 1 हजार करोड़ के गिफ्ट तो Supreme Court ने मांगा जवाब

नई दिल्ली. कोरोना काल में खासी चर्चा में रही पैरासिटामोल (PCM) की हैवी डोज बनाने वाली कंपनी डोलो (Dolo) के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। इसकी वजह कंपनी की तरफ से देशभर में डॉक्टर्स को 1 हजार करोड़ रुपए के गिफ्ट बांटा जाना है। अब इस मामले के सामने आने के बाद देश की सर्वोच्च अदालत ने न सिर्फ दवा कंपनी को फटकार लगाई है, बल्कि देश की सरकार को भी 7 दिन के भीतर जवाब देने को कहा है। उधर, सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) केएम नटराज ने कहा कि सरकार की ओर से हलफनामा लगभग तैयार है। इसे शीर्ष अदालत में दाखिल किया जाएगा।

दरअसल, सैंट्रल बोर्ड ऑफ डायरैक्ट टैक्स (CBDT ) की रिपोर्ट के हवाले से फैडरेशन ऑफ मैडिकल एंड सेल्स रिप्रैजैंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से सीनियर एडवोकेट संजय पारिख ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई है। याचिका में याचिका में दावा किया गया है कि फार्मा कंपनी ने बुखार की दवा डोलो-650 मरीजों को देने के लिए देशभर में डॉक्टरों को 1 हजार करोड़ रुपए के गिफ्ट बांटे हैं। साथ ही यह भी कहा गया है कि इस तरह के मामलों में रिश्वत के लिए डॉक्टरों पर तो केस चलता है, पर दवा कंपनियां बच जाती हैं। डॉक्टरों को तोहफे देने वाली दवा कंपनियों की जवाबदेही भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। फार्मास्यूटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसिज के लिए यूनिफॉर्म कोड (UCPMP) बनाए जाने की मांग की गई, वहीं कहा गया कि इसके न होने के चलते मरीजों को ब्रांडेड कंपनियों की बहुत ज्यादा कीमत वाली दवाई खरीदनी पड़ती है, क्योंकि अक्सर उनका इलाज करने वाले डॉक्टर महंगे गिफ्ट के लालच में मरीजों को वही दवाई पर्चे पर लिखते हैं।

इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की बैंच ने की सुनवाई की है। अदालत ने इन मांगों के संबंध में केंद्र सरकार को एक हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 10 दिन के बाद की जाएगी। खास बात यह रही हाल ही में कोरोना से जूझ चुके जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा, ‘जो आप कह रहे हैं, वो मुझे सुनने में अच्छा नहीं लग रहा। ये वही दवाई है, जिसका कोविड के दौरान मैंने खुद इस्तेमाल किया है। मुझे भी इसका इस्तेमाल करने के लिए बोला गया था। ये वाकई गम्भीर मसला है।’

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