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5 भाई 30 साल से जोड़ रहे थे धन, भात में इकलौती बहन को ऊढ़ाई 500-500 के नोटों की चूंदड़ी; और जानें क्या-क्या दिया

नागौर. राजस्थान के नागौर से एक बेहद हैरान कर देने वाला और प्रशंसनीय मामला सामने आया है। यहां 2 बहनों की शादी में उनके मामाओं की तरफ से 71 लाख रुपए का भात भरा गया है। पता चला है कि इन लड़कियों की मां 5 भाइयों की इकलौती बहन है और वो पांचों इस खास मौके को यादगार बनाने के लिए पिछले 30 साल से पैसा जमा कर रहे थे। आज इसकी हर तरफ तारीफ हो रही है।

बता दें कि भारतीय शादियों के रिवाज अपने आप में आकर्षित करने वाले होते हैं। शादी में निभाई जाने वाली ऐसी ही एक रस्म है, जिसे हरियाणा में भात तो राजस्थान में मायरा कहा जाता है। यह दूल्हा-दुल्हन के मामा की ओर से भरा जाता है। वैसे तो मायरा इंडियन वैडिंग कल्चर की एक सामान्य रस्म है, लेकिन राजस्थान के नागौर में इस रस्म को काफी खास माना जाता है। इन दिनों यहां दो बहनों की शादी में उनके मामाओं द्वारा भरा गया मायरा काफी सुर्खियों में है। लाडनूं में किसान मामाओं ने बीते मंगलवार को करीब 71 लाख रुपए का मायरा भरा है। जब वो परांत में नोट और जेवर भरकर लाए तो देखने वालों की आंखें और मुंह खुले के खुले रह गए। इन भाइयों ने अपनी इकलौती बहन सीता देवी (दुल्हन बनी 27 वर्षीय प्रियंका और 25 वर्षीय स्वाति की मां) को 500-500 रुपए के नोटों से सजी चुनरी भी ऊढ़ाई।

सीता देवी के राजोद निवासी भाई मंगनाराम ने बताया कि 5 भाइयों में से बड़े भाई रामनिवास की 3 साल पहले मौत हो गई थी। उनकी इच्छा थी कि बहन का मायरा जब भी भरे, उसकी चर्चा हो। किसी भी तरह की कमी नहीं रहे। इस पर चारों भाई सुखदेव, मंगनाराम, जगदीश, जैनाराम और भतीजा सहदेव रेवाड़ मायरा लेकर पहुंचे। मंगनाराम ने बताया कि शुरू से परिवार की इच्छा थी कि दो भानजे या भानजी का मायरा गाजे-बाजे के साथ भरा जाए। बड़े भाई की इच्छा के अनुसार 30 साल (जब से सीता की शादी हुई थी) से रुपए जमा कर रहे थे। अब उस इच्छा को पूरा करते हुए थाली में 51 लाख 11 हजार रुपए भरे हैं, वहीं 25 तोले सोना और 1 किलो चांदी के जेवरात भी ये लेकर पहुंचे। बहन के ससुराल वालों को भी सोने-चांदी के जेवरात भेंट किए गए।

यह है अनूठा इतिहास

कहा जाता है कि खिंयाला और जायल के धर्माराम जाट और गोपालराम जाट मुगल शासन में टैक्स वसूली करके दिल्ली दरबार में ले जाकर जमा करते थे। एक बार जब वो टैक्स कलैक्शन करके दिल्ली जा रहे थे तो रास्ते में लिछमा गुजरी नामक एक महिला रोती हुई मिली। उसकी चिंता थी कि कोई भाई नहीं होने के चलते उसके बच्चों की शादी में मायरा कौन लाएगा?  धर्माराम और गोपालराम ने लिछमा गुजरी के भाई बन टैक्स कलैक्शन के सारे रुपए और सामग्री से मायरा भर दिया। बादशाह ने भी पूरी बात जानने के बाद दोनों को सजा देने की बजाय माफ कर दिया था। इसके बाद से खिंयाला और जायल के जाटों द्वारा भरे गए भात को महिलाएं लोकगीतों में गाती हैं।

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