घूमती सूचनाएंराजनीतिविश्व चक्र

दुनिया पर सूखी चौधर झाड़ रहा है America, हो चुकी है भिखमंगे जैसी हालत; जानें क्या है वजह

नई दिल्ली. एक पुरानी कहावत है, ‘जब तक जीओ, चाहे कर्ज लेना पड़े, घी पीओ’। दुनिया के सबसे बड़े नास्तिक चार्वाक के इस विचार पर चलने वालों की दुनिया में कमी नहीं है और इस वक्त इस फेहरिस्त में एक नाम और शुमार हो गया है। यह नाम है हर वक्त दुनियाभर के देशों पर धाक जमाने की फिराक में रहते अमेरिका का। इस देश के आर्थिक हालात बेहद खराब हो चुके हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच आलम ये है कि अमेरिका दिवालिया होने की कगार पर आ चुका है। कई कंपनियों ने अपने यहां छंटनी तेज कर दी है। हर स्तर पर खर्च की कटौती चल रही है। आइए जानते हैं कि 31.46 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज से दबे अमेरिका की ये हालत कैसे हुई?…

यूनाइटेड स्टेट ट्रैजरी के आंकड़ों पर गौर करें तो बड़ी चौंकाने वाली सच्चाई सामने आ रही है। अमेरिका साल-दर-साल कर्जाई होता जा रहा है। 2001 तक इस देश पर 479 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था। 2008 में यह 826 लाख करोड़ रुपए हो गया। 2017 में जब बराक ओबामा राष्ट्रपति की कुर्सी पर थे तो कर्ज की रकम बढ़कर 1670 लाख करोड़ पहुंच गई। इसके बाद डोनाल्ड ट्रम्प के शासनकाल में 2020 में  कर्ज बढ़कर 2224 लाख करोड़ रुपए हो गय, जबकि जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद 2023 में अमरेका 31.46 ट्रिलियन डॉलर यानि 2 हजार 600 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्जवान हो गया है। मार्च 2023 में अमेरिका की सरकार का बजट घाटा 30 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया था। 2022 में अमेरिका की GDP पर 121% का कर्ज था।

अमेरिका के भारी-भरकम कर्ज का आंकड़ा आसान शब्दों में समझें तो अभी भारत की कुल जीडीपी जितनी है, उसका 10 गुना ज्यादा अमेरिका पर कर्ज है। भारत ही नहीं, चीन, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन जैसे बड़े देशों की कुल जीडीपी से भी ज्यादा कर्ज अमेरिका पर है। प्रति व्यक्ति की बात करें तो वहां हर किसी पर करीब 94 हजार डॉलर का कर्ज है और इस कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए अमेरिका रोज 1.3 अरब डॉलर खर्च करता है। इससे भी बड़ी गजब की बात तो यह भी है कि अभी यह सिलसिला थमता नजर भी नहीं आ रहा।

आइए अब इन बुरे हालात के पीछे की वजह पर भी विचार करते हैं। आर्थिक मामलों के जानकार सुमित (दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ इकनॉमिक्स ग्रोथ के रिसर्च एनालिस्ट) की मानें तो अमेरिका पर बेइंतहा तरीके से बढ़ते कर्ज के कई कारण हैं। विकसित देश रैवेन्यू कमाने के लिए कर्ज बाजार में पैसा लगाते हैं। साथ ही सरकार पर बेरोजगारी बढ़ने, ब्याज दर में कटौती जैसे कारणों से भी कर्ज बढ़ते हैं। ध्यान रहे, 2019 में अमेरिका ने कॉरपोरेट टैक्स 35% से घटाकर 21% कर दिया था। ब्याज दर में कटौती से अमेरिका में महंगाई बढ़ी। दूसरी ओर सरकार ने खर्च पर रोक न लगाकर कर्ज लेकर ही कर्ज की की भरपाई की है। इसके अलावा एक और बहुत बड़ी सच्चाई यह भी है कि दुनिया में ताकतवर कहलाने के लिए भी अमेरिका ने पिछले कुछ दशक में काफी पैसा खर्चा किया है। फिलहाल अमेरिका रूस के खिलाफ यूक्रेन को करोड़ों की मदद दे चुका है। चीन से निपटने के लिए ताइवान के लिए भी खूब खर्च किया है।

इकोनॉमिक रिसर्च एनालिस्ट सुमित के अनुसार ‘कल तक ऐसी उम्मीद थी कि अमेरिका पांच जून तक दिवालिया हो जाएगा। हालांकि, आज की स्थिति अलग है। अभी कर्ज लेने की सीमा यानि डेट सीलिंग दो साल के लिए बढ़ा दी गई है। ऐसे में फिलहाल दिवालिया होने का खतरा टल गया है। खासतौर पर अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव तक स्थिति सामान्य रह सकती है’। दरअसल, अमेरिका में सरकार के कर्ज की एक सीमा तय होती है। मतलब जितनी रकम तय होगी, सरकार उससे ज्यादा का कर्ज नहीं ले सकती। इस तिमाही में अमेरिका ने 726 बिलियन डॉलर की राशि उधार लेने का लक्ष्य रखा है। यह जनवरी में पेश किए गए अनुमान से 449 बिलियन डॉलर अधिक है। अब जहां तक मौजूदा स्थिति से निपटने की बात है तो सुमित ने कहा, ‘अमेरिका को अब इस समय सीमा के अंदर अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार लाना होगा। सरकारी खर्चों में कटौती करनी होगी’।

Show More

Related Articles

Back to top button
Hacklinkholiganbet
holiganbet
holiganbet
Jojobet giriş
Jojobet giriş
Jojobet giriş
casibom giriş
casibom giriş
casibom giriş
xbet
xbet
xbet
marsbahis
tarafbet
marsbahis giriş
tarafbet giriş
extrabet
extrabet giriş
production service video diyarbakır escort sonbahis trabzon escort imajbet imajbet giriş imajbet güncel giriş extrabet extrabet giriş extrabet güncel giriş imajbet imajbet giriş hatay escort slot siteleri deneme bonusu veren siteler Bursa Escort Mersin Escort Mersin Escort Mersin Escort Eskişehir escort bahiscasino bahiscasino giriş Eskişehir escort Kemer Escort Çeşme Escort Milas Escort