Agriculture

नस्ल पर भारी पड़ सकती है फसल बचाने की नाकाम सी जुगत, उपजे कई सवाल; जवाब एक का भी नहीं

सुलखनी (हिसार). इलाके में बारिश के बाद बाढ़ में डूबे गांवों को राहत देने में सरकारी कदम नाकाम से पड़ते नजर आ रहे हैं। इसी बीच शनिवार को एक और जुगत लगाने के आदेश के बाद विरोध की स्थिति पैदा हो गई। मामला गांव मिर्जापुर के कृषिभूमि के सैकड़ों एकड़ रकबे में भरे पानी की निकासी का है। आज इसके लिए इलाके के विधायक जोगीराम सिहाग ने सिंचाई विभाग को नियाणा से वाया मिर्जापुर धांसू की पीने के पानी की पाइपलाइन को इस्तेमाल करने का आदेश दे डाला। इसके बाद धांसू के ग्रामीण विरोध पर उतर आए। हालांकि उनका डर भी एक तरह से सही है। अब जब विरोधाभास की स्थिति बनी तो विधायक के पास फोन कॉल अटैंड करने का वक्त नहीं है।   

बताते चलें कि पिछले करीब महीनेभर से हिसार जिले के हांसी खंड में आते 15 गांवों में जलभराव की वजह से फसलें खराब होने के कगार पर हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन को उनकी कोई फिक्र नहीं है, जिसके चलते पानी की निकासी के पूरे प्रबंध नहीं किए जा रहे। हालांकि प्रशासन अपनी तरफ से ऐसे इंतजाम पूरे होने का दावा करते नहीं थक रहा, पर अगर हकीकत देखें तो ग्रामीणों के आरोप में दम साफ नजर आ रहा है। शनिवार को यह बात उस वक्त साबित हो गई, जब बरवाला के जननायक जनता पार्टी (JJP) के विधायक जोगीराम सिहाग हलके के 4 गांव नियाणा, मिर्जापुर, खरकड़ी, खोखा के खेतों में भरे बरसाती पानी से बने ताजा हालात देखने पहुंच गए।

नियाणा और मिर्जापुर के बीच लोगों की समस्या सुन रहे विधायक के सामने मिर्जापुर के पूर्व सरपंच राजवीर पूनिया और अन्य ग्रामीणों ने खेतों में अभी भी पानी जमा होने की बात कहते हुए इसे निकाले जाने का इंतजाम करने की मांग की। इस पर विधायक ने पानी की निकासी के लिए साथ पहुंचे अधिकारियों को नियाणा, मिर्जापुर और धांसू को पीने का पानी उपलब्ध करा रही पाइप लाइन का इस्तेमाल करते हुए समस्या का जल्द से जल्द समाधान करने का आदेश दे दिया। उधर, जैसे ही इस बात का धांसू के ग्रामीणों को पता चला, वो भी विरोध पर उतर आए। गांव के पूर्व सरपंच मनोहर लाल भाकर और ग्रामीणों ने कहा कि अगर पाइप लाइन में दूषित पानी की एक बूंद भी आ गई तो इसका पुरजोर विरोध करेंगे। अभी तक उनके यहां ऐसी कोई सिच्वेशन नहीं बनी है। प्रशासन को कोई और जरिया अख्तियार करना चाहिए। हम इस पाइप लाइन का किसी भी कीमत पर इस्तेमाल गंदे पानी की निकासी के लिए नहीं होने देंगे।

एक विभाग को पता ही नहीं और दूसरा पंगा लेने को तैयार

विधायक के आदेश के बाद एक ओर सिंचाई विभाग के जूनियर इंजीनियर राजेंद्र वर्मा ने एक हफ्ते के लिए धांसू की साइड से रॉ-वाटर पाइपलाइन को बंद करके मिर्जापुर के खेतों में भरे पानी को निकाले जाने की बात कही है तो दूसरीे ओर जल आपूर्ति विभाग को इस बात इल्म ही नहीं है। विभाग के एसई का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है, पर अगर सच में ऐसी कोई तैयारी है तो इस पाइपलाइन का इस्तेमाल खेतों से पानी निकालने के लिए किया जाना गलत है। दूसरे गांवों को पानी की आपूर्ति कैसे पहुंचेगी। पूरी जानकारी जुटाने के बाद ही आगे की कोई कार्रवाई की जाएगी।

अब इन 5 सवालों को चाहिए जवाब

  1. क्या कोई बता पाएगा कि लगभग 12 सौ एकड़ में 2 से 3 फीट भरे पानी को मिर्जापुर के स्टेडियम के पास स्थित छोटे से एक तालाब में निकालने से राहत मिल जाएगी क्या? अगर ऐसा हुआ तो यह तालाब आधे घंटे में ही फुल हो जाएगा और फिर इसके बाद क्या होगा?
  2. करोड़ों की लागत से बिछाई गई रॉ-वाटर सप्लाई पाइपलाइन का जब विधायक जोगीराम ने उद्घाटन किया था तो बटन दबाते ही यह फट गई थी। जमीन के नीचे से पानी निकालने में और खेतों में भरे पानी को उठाते वक्त बनने वाले दबाव में जमीन-आसमान का अंतर होता है। अगर इस बार फिर से पाइप लाइन डैमेज हुई तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? क्या यह सीधे तौर पर आसमान से टपके और खजूर में अटके वाली हालत नहीं होगी?
  3. जल आपूर्ति विभाग की आशंका एकदम वाजिब है। एक सप्ताह अगर लोगों को पीने को पानी नहीं मिलेगा तो यह भी बड़ी परेशानी की वजह है। इस समस्या का क्या विकल्प होगा?
  4. बरसात के मौसम में वैसे ही जलजनित रोग लोगों को घेर लेते हैं और अगर इत्तफाकन ऐहतियात के बावजूद पाइप लाइन में कहीं लीकेज हो गई और संबंधित गांवों को सप्लाई किए जाने वाले पीने के पानी में गंदी गई तो फिर क्या लोग बीमार नहीं पड़ेंगे?
  5. विधायक जोगीराम सिहाग से उनका पक्ष जानने के लिए शब्द चक्र न्यूज ने एक बार नहीं कई बार कोशिश की। एक बार भी विधायक ने कॉल रिसीव नहीं की। उनके पीए सोनू फोगाट से बात हुई तो उन्होंने टका सा जवाब दे दिया कि विधायक जी से ही बात की जाए। ऐसे में ऊपर के चारों सवालों का जवाब कौन देगा?

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