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OMG: चूहे के कत्ल केस में साढ़े 4 महीने बाद हुई 30 पन्नों की Chargesheet दाखिल; जानें क्या है कत्ल की वजह और सजा

  • उत्तर प्रदेश के बदायूं में 25 नवंबर 2022 को मनोज को चूहे का कत्ल करने से रोका तो पशुप्रेमी विकेंद्र शर्मा के साथ हुई थी तीखी बहस
  • 27 नवंबर को पुलिस ने विकेंद्र की तहरीर पर पशु क्रूरता अधिनियम के तहत केस दर्ज किया और मनोज को जमानत पर छोड़ दिया

बदायूं (उत्तर प्रदेश). उत्तर प्रदेश के बदायूं में चूहे के कत्ल के मामले में पुलिस ने 30 पन्नों का आरोप-पत्र (Chargesheet) दाखिल किया है। भारत देश में अपनी तरह के पहले ऐसे मामले में पुलिस को जांच करने में साढ़े महीने का वक्त लग गया। अब हर कोई सोच रहा होगा कि इंसानों के कत्ल निपटते नहीं तो अब चूहे-बिल्ली और कीड़े-मकौड़ों को मारने के मामले भी न्याय व्यवस्था पर बोझ बढ़ाने का क्या औचित्य है? …तो आइए इस सवाल के जवाब में हाल में चर्चा में चल रहे चूहे के कत्ल केस के पीछे की वजह और इसको लेकर होने वाली कार्रवाई पर जरा विस्तार से चर्चा करते हैं

मामला बदायूं जिले के सदर कोतवाली क्षेत्र में पड़ते पनबड़िया का है। दरअसल, 25 नवंबर 2022 को यहां का मनोज नाम एक युवक एक चूहे की पूंछ पर पत्थर बांधकर घर के बाहर नाले में डुबोने ही लगा था कि वहां से गुजर रहे पशुप्रेमी विकेंद्र शर्मा ने टोक दिया। आरोप है कि इस पर मनोज बहस पर उतर आया। इसके बाद विकेंद्र ने पुलिस को बुला लिया और वह मनोज के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने की जिद पर अड़ गए। पुलिस मनोज को तुरंत पकड़कर कोतवाली ले गई। इसके बाद चूहे का बरेली में स्थित भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान यानि Indian Veterinary Research Institute (IVRI) की ब्रांच से पोस्टमॉर्टम कराया गया।

उधर, पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉ. अशोक कुमार और डॉ. पवन कुमार की मानें तो चूहे की मौत पानी में डूबने से नहीं, बल्कि दम घुटने से हुई है। उसके फेफड़े और लिवर पहले से खराब थे। कुल मिलाकर चूहा काफी बूढ़ा था। वहीं IVRI के संयुक्त निदेशक डॉ. केपी सिंह के मुताबिक लिवर में पहले से दिक्कत होने के चलते चूहे का अधिक समय तक जिंदा रह पाना मुश्किल था। वैसे भी चूहे के शरीर की संरचना ऐसी होती है कि फेफड़ों तक जल्दी पानी नहीं पहुंचता।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद 27 नवंबर को पुलिस ने विकेंद्र की तहरीर पर पशु क्रूरता अधिनियम के तहत केस दर्ज किया। हालांकि उस वक्त मनोज को जमानत पर छोड़ दिया गया। सीओ सिटी आलोक मिश्रा के नेतृत्व में जांच में जुटी पुलिस ने 4 महीने 16 दिन की लंबी जांच के बाद अब इस मामले में मनोज के खिलाफ 30 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की है। इस बारे में जांच अधिकारी राजेश यादव ने बताया कि पुलिस को आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले हैं, जिनके आधार पर चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। अब आगे की कार्रवाई के आदेश फैसले पर निर्भर करती है। हालांकि आरोपी मनोज और उसके पूरे परिवार का तर्क था कि घर के पास से गुजरते नाले में चूहे रोज घर में घुस जाते हैं। ये उनके बनाए मिट्टी के बर्तनों को तोड़ देते हैं और इसके चलते उन्हें (मनोज के परिवार को) काफी घाटा उठाना पड़ता है। यही वजह है कि वो चूहों को सजा ए मौत देता है। चार्जशीट के मुताबिक पुलिस ने मनोज को खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम की धारा-11 (1) (एल) और IPC की धारा 429 के तहत पशु की हत्या करने या उसे अपाहिज करने का दोषी बताया है।

उधर, जानकारों की मानें तो पशु क्रूरता निवारण अधिनिम के मामले में 10 रुपए से लेकर 2 हजार रुपए तक के जुर्माने और 3 साल तक की कैद की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा धारा 429 के तहत 5 साल तक की सजा और जुर्माना दोनों हो सकते हैं। हालांकि अधिकतर मामलों में तो जुर्माना ही लगाया जाता है, लेकिन चूहे की हत्या जैसा मामला देश में पहली बार सामने आया है तो इसमें मजिस्ट्रेट के विवेक पर निर्भर करेगा कि वो क्या तय करते हैं।

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