फिर लौट रहा गौधन के लिए काल बनने वाला लंपी वायरस; गौपुत्र सेना के पंजाब अध्यक्ष गर्वित गोयल ने उठाए पिछले साल हुए LSD टीकाकरण पर सवाल
- कहा-देसी दवा के रूप में काली मिर्च, ग्लो पाउडर, अजवायन, तिल या तिल का तेल, गुड़, बाजरा, जौं, गेहूं, हल्दी आदि का करीब 600 ग्राम मिश्रण है बेहद कारगर
- मुख्यमंत्री भगवंत मान से की आपदा में कोताही बरतने वाले अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई करने की मांग
- गौपुत्र सेना की तरफ से जल्द ही केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला से मुलाकात करने की बात भी कही गोयल ने
बरनाला. देशभर में हजारों गायों-बछड़ों और सांडों की जान लेने वाला लम्पी वायरस एक बार फिर काल बनकर लौट रहा है। इस बारे में बात करते हुए गौपुत्र सेना पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष गर्वित गोयल ने गौवंश के टीकाकरण की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत मान से इस आपदा से निपटने के लिए अधिकारियों को कड़े निर्देश देने की अपील की है। साथ ही समाजसेवी संस्थाओं को भी गौवंश को बचाने के लिए देशी नुस्खे अपनाने की सलाह दी है। इसके अलावा कहा कि गौपुत्र सेना के केन्द्रीय पदाधिकारी जल्द ही केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला से मुलाकात कर उन्हें इस बारे में विस्तार से अवगत करवाएंगे।
सोमवार को बरनाला में शब्द चक्र न्यूज के साथ बात करते हुए गौपुत्र सेना पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष गर्वित गोयल ने कहा कि पंजाब के अधिकतर जिलों में पिछले साल लम्पी ने कहर बरपाया था। देशभर में करीब एक लाख से अधिक गौवंश लम्पी की चपेट में आया था। और बरनाला जिले में भी करीब हजारों गौवंश वायरस का शिकार हुए थे। पशुपालकों को बड़ा नुकसान हुआ था, वहीं दूध के कारोबार पर भी बहुत ज्यादा असर पड़ा था। लगता है-यह खतरनाक महामारी एक बार फिर से लौट आई है। समाजसेवी संस्थाओं से अपील है कि गौवंश को बचाने के लिए बढ़-चढ़कर आगे आएं। देसी दवा के रूप में हर पीड़ित गौवंश को काली मिर्च, ग्लो पाउडर, अजवायन, तिल या तिल का तेल, गुड़, बाजरा, जौं, गेहूं, हल्दी आदि का करीब 600 ग्राम मिश्रण बनाकर खिलाएं।
इसी के साथ गर्वित गोयल ने पिछले वर्ष आई आपदा के दौरान चले टीकाकरण अभियान पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इस आपदा से बचाव के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनके तहत गोट पॉक्स दवा की एक सीमित डोज हर मवेशी और गौवंश को दी जानी थी, लेकिन हमें लगता है-यह काम पूरी ईमानदारी से नहीं हुआ। हम प्रदेश के मुख्यमंत्री भगवंत मान से मांग करते हैं कि वह इस आपदा में कोताही बरतने वाले अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई के निर्देश जारी करें, ताकि भविष्य में प्रदेश में कोई भी अधिकारी अपने कार्य में कोताही न बरते। गोयल ने कहा कि गौशालाओं में और सड़कों पर बेसहारा घूम रहे गौवंश को आप सभी जमीनी स्तर पर जाकर देखें कि वह किस तरह लम्पी बीमारी से ग्रस्त होकर तड़प-तड़प कर मरने को मजबूर हैं।
उधर, उनकी संस्था की तरफ से उठाए जाने कदम के संबंध में किए गए मीडिया के सवाल पर गोयल ने इस संबंध में जल्द ही गौपुत्र सेना के केन्द्रीय पदाधिकारियों द्वारा भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला से मुलाकात करने की बात भी कही।