Uttar Pradesh

Kanshi Ram’s Death Anniversary: साइकल जान से भी प्यारी थी BSP के फाउंडर कांशी राम को, जानें एक बार तो क्यों रो पड़े थे वह….

लखनऊ. Kanshi Ram’s Death Anniversary: आज बहुजन समाज पार्टी (BSP) के संस्थापक कांशी राम का की पुण्यतिथि है। इस खास मौके पर शब्द चक्र न्यूज आपको कांशीराम की एक दिलचस्प कहानी से रू-ब-रू करा रहा है। कभी द्विचक्रिका वाहन जीवन का अहम हिस्सा होता था, धीरे-धीरे वक्त बदला तो लोग साइकल से मोटरसाइकल और कार पर आ गए। अब फिर से माहौल बदल रहा है तो लोग एक बार फिर साइकल पर ही चलना पसंद करने लग गए हैं। वजहें सबकी अपनी-अपनी हैं। कोई डीजल-पैट्रोल महंगा होने के चलते तो कोई बढ़ते प्रदूषण के बीच खुद को सेहतमंद रखने के लिए साइकल का सहारा लेने लग गया है। बात करें उत्तर प्रदेश की तो यहां साइकल सिर्फ एक वाहन नहीं है, बल्कि यह सियासत की सीढ़ी भी है। यहां कई नेता साइकल का हैंडल थामकर सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे हैं। इनमें एक नाम बहुजन समाज पार्टी (BSP) के संस्थापक कांशी राम (Kashi Ram) का भी है। एक बार जब उनका साइकल चोरी हो गया तो वह फूट-फूटकर रोए थे। आइए कांशी राम की साइकल से जुड़ी कहानी के बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं…

World Cycle Day: ऐसा था BSP के संस्थापक कांशी राम का साइकल प्रेम, रो पड़े थे एक बार तो

राजनीति के जानकारों के मुताबिक कांशीराम साइकल से ही पूरे हिन्दी प्रदेश में पार्टी प्रचार-प्रसार का काम किया करते थे। कभी उत्तराखंड तो कभी मध्य प्रदेश साइकल से ही चले जाते थे। दलितों को एकजुट करने के लिए उन्होंने कई साइकल रैलियां की थी। 15 मार्च 1983 को साइकल यात्रा पर निकले कांशी राम ने 40 दिनों में 7 राज्यों से होते हुए 4200 किलोमीटर की दूरी तय की थी। आज भी यह साइकल शीशे के शो-केस (Showcase) में सुसज्जित है।

कांशीराम के दोस्त मनोहर आटे बताते हैं कि उन दिनों अक्सर कांशीराम महाराष्ट्र सरकार मुख्यालय के सामने अंबेडकर की मूर्ति के पास बैठकर बहुजन समाज के बारे में गहन विचार किया करते थे। वहीं सामने एक ईरानी होटल था, जहां वह अपना साइकल खड़ा करते थे। एक बार रात 11 बजे तक कांशीराम अंबेडकर की मूर्ति के नीचे बैठकर अपने दोस्त के साथ चर्चा कर रहे थे। उन्होंने देखा की ईरानी होटल बंद हो रहा है, लेकिन उनका साइकल गायब है।

World Cycle Day: ऐसा था BSP के संस्थापक कांशी राम का साइकल प्रेम, रो पड़े थे एक बार तो

साइकल को ढूंढते-ढूंढते कांशीराम की आंखों में आंसू आ गए। बहुत ढूंढने के बाद भी जब साइकल नहीं मिला, तब उन्होंने होटल के वेटर को डांटते हुए साइकल के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि अगर साइकल नहीं मिला तो वह पुलिस कम्प्लेन करेंगे। पुलिस का नाम सुनते ही वेटर डर गया और उसने साइकल लौटा दिया। साइकल मिलने के बाद कांशीराम ने वेटर को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया।

उधर, करीबी मित्रों ने जब थोड़ी देर पहले रोने का कारण पूछा तो कांशी राम ने बताया कि यह साइकल मेरे लिए बस एक वाहन नहीं है। ये मेरे मिशन को आगे लेकर जाने वाला सबसे बड़ा साधन है। इसे लापता पाकर मुझे ऐसा लगा मानो मेरी जिंदगी खत्म होने लगी है।

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