Punjab-Haryana High Court ने बताया-क्यों लटकते हैं रैवेन्यू कोर्ट के मामले; अब Whatsapp और Telegram पर होगी Summoning

चंडीगढ़. पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की रैवेन्यू कोर्ट्स में पैंडिंग केसों को निपटाने के लिए एक अहम फैसला लिया है। केसों के निपटारे में अनावश्यक देरी को कम करने के अब व्हाट्सऐप्प और टैलीग्राम का इस्तेमाल किया जाएगा, यानि आने वाले दिनों में आपको गली-मोहल्लों में ढोल पीटकर कोई सुनो-सुनो सुनाे कहता सुनाई नहीं देगा। कार्यशैली में बदलाव को लेकर हाईकोर्ट ने दोनों राज्यों के मुख्य सचिव और चंडीगढ़ प्रशासक को सूचित करने का निर्देश दिया है।
दरअसल, 2021 में विभाजन से जुड़ा एक मामला अदालत के सामने आया था। इस मामले में कोर्ट के आदेश का पालन न होने को लेकर अवमानना याचिका दाखिल की गई थी। सुनवाई के दौरान सामने आया कि विभाजन से जुड़ा यह विवाद 19 साल पुराना था। कोर्ट ने छह महीने के भीतर इसका निपटारा करने का निर्देश जारी किया था। जब इस मामले में सरकार से जवाब मांगा गया तो बताया गया कि राजस्व रिकॉर्ड की मूल प्रति अपीलेट कोर्ट के पास लंबित है।
इस संबंध में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि राजस्व अदालतों के खिलाफ सुनवाई करते हुए अपीलेट कोर्ट मूल रिकॉर्ड मंगवा लेती हैं, जिससे राजस्व अदालतों में मामले लटकते हैं। इसके साथ ही नोटिस या समन आदेश को स्वीकार न करने के चलते भी मामले सालों साल लंबित रहते हैं। यही वजह है कि हरियाणा के साथ ही पंजाब और चंडीगढ़ में अक्सर राजस्व अदालतों में मामले लटकते हैं। ऐसे में अपीलेट कोर्ट को रिकॉर्ड की स्कैन की गई कॉपी, फोटोस्टेट कॉपी ही मंगवानी चाहिए। अगर स्टे नहीं है तो अपील लंबित रहते भी राजस्व अदालतें अपनी कार्रवाई को जारी रख सकती हैं।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अहम टिप्पणी करते हुए आदेश दिया है कि पक्षकारों और उनका प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों से व्हाट्सऐप्प सुविधा वाला फोन नंबर और ईमेल ID जमा करवाने पर जोर दें। भविष्य में वकीलों को सभी नोटिस ई-मेल या इंस्टैंट मैसेजिंग सेवाओं पर जारी किए जाएं। नोटिस, समन और दलीलों का आदान-प्रदान ई-मेल, फैक्स और व्हाट्सऐप्प, टैलीग्राम और सिग्नल जैसी आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली त्वरित संदेश सेवाओं के माध्यम से किया जा सकता है। मुनादी की प्रक्रिया में ढोल पीटकर नोटिस की तामील करवाई जाती है, जो जिसे अब त्यागने की जरूरत है।