CITU के बैनर तले जिलेभर के कर्मचारियों ने DC दफ्तर पर दिया धरना, आंदोलन को और तीखा करने की चेतावनी

राजेन्द्र ठाकुर/चंबा
हिमाचल प्रदेश के चंबा में बुधवार को जिलेभर के कर्मचारियों-मजदूरों ने सैंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (CITU) की जिला कमेटी के बैनर तले प्रदर्शन किया। अपनी मांगों को मनवाने के लिए संघर्षरत इन संगठित लोगों ने आज उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना देकर स्थानीय प्रशासन और प्रदेश की सरकार के खिलाफ नारे लगाए। साथ ही चेतावनी दी कि जल्द ही इनकी बात पर गौर नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में आंदोलन को और तीखा कर दिया जाएगा।
आज के धरने में हाइड्रो प्रोजैक्ट, आंगनवाड़ी, मिड-डे मील, वन विभाग के दैनिक वेतनभोगी, मनरेगा मजदूर और यूनियनें शामिल रही। इस धरने का नेतृत्व कर रहे CITU के जिला अध्यक्ष नरेंद्र ने कहा कि ठेका व्यवस्था ने मजदूरों को बंधुआ मजदूर बना दिया है। चंबा में हाइड्रो प्रोजैक्ट में ठेकेदार की मनमानी से मजदूरों की लूट चली हुई है। 15 साल से अधिक समय से काम कर रहे स्कीम वर्कर आंगनवाड़ी, मिड-डे मील, आशा वर्कर को कोई भी सामाजिक सुरक्षा और पैंशन की व्यवस्था नहीं है। न्यूनतम वेतन भी नहीं दिया जा रहा है, इसलिए इन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए और पैंशन की व्यवस्था की जाए।
उनके साथ CITU की जिला सचिव सुदेश ने बताया कि निर्माण में काम करने वाले मजदूरों को कल्याण बोर्ड से मिलने वाले लाभ को रोक दिया गया है। मजदूरों को मिलने वाले लाभ जैसे इंडक्शन, टिफिन, वाशिंग मशीन, साइकल आदि को शुरू किया जाए। मनरेगा वर्कर को बोर्ड से बाहर निकालने का सरकार का फैसला मजदूर विरोधी है। मनरेगा में काम कर रहे मजदूरों के 100 दिन पूरे नहीं लग रहे थे, उससे भी ऊपर जाकर केंद्र सरकार ने अब बजट में कटौती कर डाली। आने वाले समय में ग्रामीण क्षेत्र में इसके दुष्परिणाम दिखेंगे।
कर्मचारी नेताओं ने कहा कि आउटसोर्स जैसी नीति लाकर सरकार सरकारी संस्थाओं को कमजोर कर रही है। आउटसोर्स सिर्फ और सिर्फ ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने और मजदूरों के शोषण का ही एक तरीका है। चंबा जिले में वन विभाग के अंतर्गत काम करने वाले मजदूर इस नीति का सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं। इन मजदूरों को दशा ये है कि एक एक साल से वेतन नहीं मिला। विभाग के पास ना तो इनका कोई रिकॉर्ड है और ना ही इनके लिए मस्टरोल जारी किया जाता है। इसी प्रथा का जीता जागता नमूना देश के नौरतन कंपनी एनएचपीसी बैरा स्युल में देखने को मिला है। जहां ठेकेदार ने मनमर्जी से रिलीवर के नाम पर अतिरिक्त व्यक्ति को अन्य मजदूरों के वेतन के सहारे रखा है, जिसमें पहले से काम कर रहे वर्कर के वेतन से पैसा काटकर उस व्यक्ति को दिया जाएगा। अगर भारत सरकार जल्द ही इनकी स्थिति में सुधार नहीं करती है पूरे जिला के अंदर वन विभाग दैनिक वेतनभोगी मजदूरों को संघर्ष का रास्ता अपनाना पड़ेगा। जिले में आने वाले समय में आंदोलन को और तीखा किया जाएगा।