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निरंकारी सत्संग भवन में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने माना भजन-कीर्तन का आनंद

  • साहो, जडेरा, राख, जांगी, मैहला, मंगला आदि क्षेत्रों से आए संत-महात्माओं ने कराया सदगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की शिक्षाओं से अवगत

राजेन्द्र ठाकुर/चंबा

चंबा के मुगला स्थित निरंकारी सत्संग भवन में अरुण महाजन की अध्यक्षता में साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। सत्संग का शुभारंभ आरती वंदना से किया गया। इस मौके पर दूर-दराज़ के गांवों, कस्बों से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने उपस्थिति दर्ज करवाई। साहो, जडेरा, राख, जांगी, मैहला, मंगला आदि क्षेत्रों से आए संत-महात्माओं ने सदगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की शिक्षाओं को अपने विचारों और भजनों द्वारा व्यक्त किया।

अंत में मंच पर विराजमान महात्मा अरुण महाजन जी ने अपने सार गर्भित प्रवचनों से सादसंगत को भाव-विभोर करते हुए कहा कि मनुष्य देह पांच भौतिक तत्वों से बना हुआ है। यह देह एक न एक दिन खंडित होनी निश्चित ही है, क्योंकि प्रकृति का एक नियम है कि जो कुछ भी बना है, वह एक न एक दिन नष्ट हो जाना है। हालांकि अंत सिर्फ शरीर का ही होता है, आत्मा ना जन्मती है और न मरती है। वह परमात्मा का अंश है जो बिछोड़े के कारण चौरासी लाख योनियों में अनेक-अनेक शरीरों में आती है। महात्मा ने कहा कि मनुष्य अपना संपूर्ण जीवन धन की दौड़ में खत्म कर देता है, जो उसके साथ जाने वाला नहीं है।

उन्होंने याद दिलाया कि जब मनुष्य माता के गर्भ में उल्टा लटका होता है तो भगवान से अरदास करता है कि हे मालिक मुझे बाहर निकाल मैं तेरी भक्ति करूंगा, परंतु जब वह संसार में आता है तो दुनियावी चकाचौंध में सब भूल जाता है। माया में ही लीन हो जाता है, मालिक से किया हुआ वादा भूल जाता है। जिस काम के लिए संसार में आया था जिस काम के लिए उसका जन्म हुआ था, उस काम से चूक जाता है। अब फिर चौरासी लाख योनियां मुंह खोले खड़ी हैं, इसलिए महापुरुष संत जन समय समय पर आवाज देते रहते हैं कि समय रहते अपने आप की पहचान कर लो, जो जन्म और मृत्यू के बीच के समय में ही संभव है।

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