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नाम में कुछ नहीं रखा-फिर चाहे वह शेर हो या पांचशेर, जानें कैसे सब पर भारी पड़ा एक सांड

अमरेली. मशहूर कवि काका हाथरसी की एक कविता है…

नाम-रूप के भेद पर कभी किया है ग़ौर?

नाम मिला कुछ और तो शक्ल-अक्ल कुछ और।।

ये लाइनें हाल में गुजरात में घटी एक घटना से एकदम मेल खाती हैं। बड़े गजब की बात है कि यहां एक सांड एक-दो नहीं, बल्कि पूरे पांच शेरों पर भारी पड़ गया। उसने उन पांचों के छक्के छुड़ा दिए। अब इस घटना की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं और लोग चुटकियां ले रहे हैं कि नाम में क्या रखा है, फिर चाहे वह शेर हो, सवा शेर हो या फिर भले ही पांचशेर ही क्यों न हो-कोई फर्क नहीं पड़ता। सब वक्त-वक्त की बात है।

घटना गुजरात के अमरेली की है, जहां से अक्सर शेरों के इलाके गांवों में घुसकर शिकार के वीडियो सामने आते रहते हैं। अब कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जो इसके ठीक उलट हैं। राजुला तालुका के कोवाया गांव से सामने आई इन तस्वीरों में देखा जा सकता है कि रात करीब 2 बजे दो शेरनियों और तीन शावकों का झुंड शिकार की तलाश में गांव आ पहुंचता है। यह झुंड सड़क किनारे खड़े एक सांड को घेर लेता है, लेकिन सांड पूरी निडरता से उनका सामना करता है। उसे भारी पड़ते देख पहले तो एक शेर जान बचाने के लिए दीवार पर चढ़ जाता है और कुछ देर बाद उसे अपने चारों साथियों के साथ मौके से भागना ही पड़ता है। हालांकि सांड की गर्जना सुनकर गांव के लोग भी मौके पर पहुंचे थे, लेकिन बताया जा रहा है कि इससे पहले ही कुत्तों की तरह झुंड में आए शेर दुम दबाकर भाग चुके थे।

यह चुटकुला याद करके तो खिलखिला उठेंगे…

इस घटना को लेकर एक चुटकुला याद आता है, जो हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और आसपास के उत्तर प्रदेश के इलाके में खासा मशहूर है। अक्सर डरपोक सी किस्म के व्यक्ति को लोगों को कहते सुना जा सकता है, ‘कौण है भाई तू? भाई साहब शेर सिंह…, रै भाई का नाम ना पूछता, तू कौण है? जी दिलशेर सिंह…। बाप का नाम? जी शमशेर सिंह…। तो फिर यहां क्यों खड़ा है? क्या करूं डर लगता है…। डर! किस बात का डर भई? यही कि आगे कहीं कुत्ते न काट लें…’।

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