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भगवान राम के आदर्श पढ़ा रही MP सरकार के मंत्री ने माता सीता को लेकर दिया ऐसा बयान…

मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कहा-सीता का जीवन तलाकशुदा जैसा, धरती फटी और माता का समा जाना आत्महत्या जैसा

उज्जैन. मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने बहुत बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि माता सीता का जीवन तलाकशुदा का जीवन था और धरती के फट जाने के बाद उनका उसमें समा जाना भी अपने आप में आत्महत्या नहीं तो और क्या था। हालांकि मंत्री ये दोनों ही बातें किसी भी रूप में माता सीता का अपमान करने के लिए नहीं कही हैं। माता सीता के आदर्शों पर बात करते हुए वह इतना भावुक हो गए कि उनके मुंह से ऐसे शब्द निकल गए, जिन्हें कुछ मतिभ्रष्ट किस्म के लोग तिल का ताड़ बनाकर देश का माहौल खराब करने का काम भी कर सकते हैं।

ध्यान रहे, पिछले साल ही मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने BA फर्स्ट ईयर के विद्यार्थियों के रामचरितमानस का व्यावहारिक दर्शन नाम से सिलेबस तैयार किया था। दर्शन शास्त्र विषय में रखे गए संभाग का 100 नंबर का पेपर रहेगा। हालांकि यह सभी के लिए अनिवार्य न होकर वैकल्पिक है। अब प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव का एक बयान खासा चर्चा का विषय बना हुआ है। वाकया उस वक्त का है, जब रविवार को मोहन यादव नागदा-खाचरौद क्षेत्र के कारसेवकों के सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि शामिल थे। उन्होंने वंदे मातरम् ग्रुप की ओर से 94 कारसेवकों का सम्मान किया। इनमें कई दिवंगत हो चुके हैं। उनके परिजनों को नागरिक अभिनंदन और प्रमाणपत्र भेंट किया गया।

इस समारोह के दौरान मंत्री ने कहा कि जिस सीता माता को राम इतना बड़ा युद्ध करके लाए, उन्हें गर्भवती होने पर भी राज्य की मर्यादा के कारण छोड़ना पड़ा। उस सीता माता के बच्चों को जंगल में जन्म लेना पड़े, वह माता इतने कष्ट के बावजूद भी पति के प्रति कितनी श्रद्धा करती है कि वह कष्टों को भूलकर भगवान राम के जीवन की मंगलकामना करती है। भगवान राम के गुणों को बताने के लिए उन्होंने बच्चों को भी संस्कार दिए। आमतौर पर आज का समय हो तो यह तलाक के बाद का जीवन समझ लो आप। किसी को घर से निकाला दे दो तो ये और क्या है। ऐसे कष्ट के बाद भी संस्कार कितने अच्छे कि लव-कुश ने राम को दोबारा रामायण याद दिलाई।

मंत्री यादव ने कहा कि अच्छी भाषा में कहा जाए तो पृथ्वी फट गई और माता उसमें समा गई। सरल और सरकारी भाषा में उनकी पत्नी ने उनके सामने शरीर छोड़ा। शरीर छोड़ने को आत्महत्या के रूप में माना जाता है, लेकिन इतने कष्ट के बावजूद भगवान राम ने जीवन कैसे बिताया होगा, जिस सीता के बिना एक क्षण भी कल्पना करना मुश्किल है, लेकिन उसके बावजूद भी भगवान राम ने राम राज्य के बारे में अपना जीवन दिया। आगे बढ़ेंगे तो उनके सामने ही भगवान लक्ष्मण ने भी प्राण त्यागे, फिर भी रामराज्य चलता रहा।

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