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Free Fire ने ली जान, 20 दिन पहले खरीदकर दिया था Smart Phone, बुरी लत लगने पर छीना तो 20 मिनट बाद लगा लिया फंदा

दमोह. मोबाइल फोन की तकनीक जितनी हमारे लिए सुविधा लेकर आई है, उससे कहीं ज्यादा यह मुसीबत भी बन चुकी है। ऑनलाइन गेमिंग जोन ने आजकल बच्चों को इतना हायपर कर डाला है कि वो कोई एक छोटी सी बात भी मां-बाप की सुनने को तैयार ही नहीं हैं। इसी हायपर सैंसिटिविटी के चलते हाल में मध्य प्रदेश में एक किशोर ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि उसे PUB-G के विकल्प के रूप में उभरकर आए ऐसे ही ऑनलाइन गेम Free Fire की लत लग गई थी, जो उसकी मौत का कारण बनी।

मिली जानकारी के अनुसार तेजगढ़ के टौरी निवासी वीरेंद्र सिंह लोधी दमोह के एसपीएम नगर में पत्नी यशोदा, बेटी दिपाशा और बेटे विकास सिंह के साथ रहते हैं। बच्चों की पढ़ाई के लिए ही वीरेंद्र ने थोड़े दिन पहले ही यहां किराये पर रहना शुरू किया था। अब दीपावली पर ही वीरेंद्र ने पढ़ाई में मददगार साबित होने की आशा से बेटे विकास को स्मार्ट फोन लेकर दिया था। शनिवार सुबह वीरेंद्र बेटी दिपाशा को कोचिंग सैंटर से लेने के लिए पथरिया रेलवे ओवरब्रिज तक गए। घर लौटकर दिपाशा ने 17 साल के छोटे भाई विकास के रूम का दरवाजा खटखटाया, लेकिन 15 मिनट तक दरवाजा नहीं खुला। शक के चलते घर वालों ने खिड़की से झांककर देखा तो विकास चादर के बने फंदे पर लटका हुआ था। दरवाजा तोड़कर विकास को फंदे से उतारकर आनन-फानन में जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।

सूचना के बाद कोतवाली टीआई विजय सिंह राजपूत ने टीम के साथ मौके का मुआयना करके लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। प्राथमिक जांच के मुताबिक पता चला है कि विकास को फ्री फायर गेम की आदत पड़ चुकी थी। पिता वीरेंद्र सिंह ने बताया, ‘शनिवार सुबह 5 बजे उठने के बाद विकास रनिंग पर चला गया। वापस लौटा और मोबाइल पर गेम खेलने लग गया। सुबह 7 बजे मैंने देखा तो मोबाइल छीना। इसके बाद उसका मोबाइल मैं जेब में रखकर बेटी को कोचिंग से लेने चला गया। इसके बाद यह स्थिति बन गई’।

क्या करें तकनीक के इस दौर में

शब्द चक्र न्यूज की अपील है कि ऐसे हालात को देखते हुए मां-बाप को भी बच्चों को आजादी देते वक्त थोड़ा सोचना चाहिए। बच्चों की आदत क्यों बिगाड़ें। अगर ऐसी स्थिति बन भी जाए तो जब पैरेंट्स बच्चों से मोबाइल लें तो उन्हें विश्वास दिला दें कि वो कोई चैकिंग नहीं करेंगे, बल्कि इसलिए लेकर बंद कर दे रहे हैं कि पढ़ाई प्रभावित न हो। पैरेंट्स पहले तो बच्चों को छूट देते हैं और जब वो मोबाइल के आदी हो जाते हैं तो सख्ती शुरू कर देते हैं। अचानक मोबाइल छीन लेने से बच्चों को लगता है कि पैरेंट्स मोबाइल पर वह सब देख लेंगे, जिससे हमें शर्मिंदा होना पड़ेगा।

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