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PWD की लापरवाही की वजह से गिरा पुल; वक्त रहते कार्रवाई की होती तो नहीं होता जानी नुकसान

  • शुक्रवार देर शाम अचानक धराशायी हो गया चंबा-खड़ामुख-होली मार्ग से गुजरते चोली नाले पर बना बैल्ली ब्रिज
  • गांव मांडो के 28 वर्षीय सुभाष चंद की मौत हो गई, बनीखेत का 40 वर्षीय विवेक ठाकुर हुआ गंभीर घायल

राजेन्द्र ठाकुर/चंबा

हिमाचल प्रदेश के चंबा में शुक्रवार देर शाम हुई दुर्घटना लोक निर्माण विभाग (PWD) की लापरवाही का नतीजा है। ध्यान रहे, चंबा-खड़ामुख-होली मार्ग से गुजरते चोली नाले पर बना बैल्ली ब्रिज शुक्रवार देर शाम टूट गया। इसको लेकर तथ्य सामने आ रहे हैं कि अगर वक्त रहते यहां पुल की क्षमता से ज्यादा वजन वाले वाहनों के आने-जाने पर रोक लग गई होती तो शायद आज एक जिंदगी जो मौत में बदल गई, वह सलामत होती। खैर अब लकीर पीटने से क्या फायदा?

हादसा शुक्रवार देर शाम उस वक्त घटा है, जब एक निजी कंपनी के भारी वाहन (डंपर ट्रक) एडिट-थ्री से मलबा भरकर कुठेड़ स्थित डैम साइट पर क्रशर प्लांट की ओर आ रही थी। जैसे ही ये चोली नाले पर बीचोंबीच पहुंची नीचे का बैल्ली ब्रिज टूटकर वाहनों समेत नाले में समा गया। बताया जा रहा है कि इनके पीछे कुछ छोटी गाड़ियां भी आ रही थी। उनके चालकों ने वक्त रहते अपनी गाड़ियों को पीछे करके सूझबूझ तो दिखाई, लेकिन बावजूद इसके वो हवा में लटक गई। सूचना मिलते ही कंपनी की ओर से हाइड्रॉलिक प्रैशर वाली क्रेन को मौके पर भेजा गया। अग्निशमन विभाग की टीम, एंबुलैंस और भरमौर प्रशासन की टीम भी पहुंची।

पता चला है कि इस हादसे में भरमौर तहसील के गांव मांडो के रहने वाले 28 वर्षीय सुभाष चंद पुत्र प्रीतम चंद की मौत हो गई, जबकि बनीखेत का 40 वर्षीय विवेक ठाकुर पुत्र सोमराज घायल हो गया। कड़ी मशक्कत के बाद वाहन से निकालकर विवेक ठाकुर को होली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया। प्राथमिक उपचार के बाद वहां से पंडित जवाहर लाल नेहरू मैडिकल कॉलेज चंबा के लिए रैफर कर दिया गया।

इस हादसे में एक जान चली गई, वहीं 9 पंचायतों की 25 हजार की आबादी भरमौर और चंबा जिला मुख्यालय से कट गई है। जहां तक इस हादसे की वजह की बात है, एक ओर भरमौर-पांगी के विधायक ने उपायुक्त चंबा से कंपनी प्रबंधन और लोक निर्माण विभाग (PWD) पर इस लापरवाही को देखते हुए एफआईआर दर्ज करवाने की बात कही है। दूसरी ओर सूत्रों का मानना है कि चोली ब्रिज से सिर्फ 9 टन वजन वाले वाहनों को ही गुजरने की अनुमति है, लेकिन यहां अक्सर निर्धारित क्षमता से ज्यादा वजन वाले वाहन गुजारे जा रहे थे। इस पुल पर मालवाहक वाहनों की आवाजाही को लेकर पहले भी खबरें प्रकाशित हो चुकी हैं। ऐसे में साफ है कि अगर वक्त रहते लोक निर्माण विभाग (PWD) ने आंखें खोल ली होती तो शायद यह हादसा नहीं होता।

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