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फिरोजपुर में सुक्खा लाहौरिया गैंग का आतंक, चिट्टे की लत पूरी करने के लिए हत्या के बाद बेसहारा गायों को हड्डारोड़ी में बेच दे रहे गैंग के नशेड़ी

  • हैरोइन का टीका लगाने की आदी एक लड़की के साथ मिलकर गौकुशी गैंग बना रखा है सुक्खा लाहौरिया नामक नशेड़ी ने
  • करीब 20 बरस से गौवंश की सेवा कर रहे एक शख्स का कहना-गौशाला में कई बार बताने के बाद भी नहीं निकल रहा हल
  • बड़ा सवाल-हत्या के बाद कहां होती है गौवंश के अवशेषों चमड़ी, मांस और हड्डियाें आदि की खपत?

मनीष रोहिल्ला/राजेश मेहता, फिरोजपुर

पंजाब के सरहदी क्षेत्र फिरोजपुर में गौहत्या का गोरखधंधा थमने का नाम ही नहीं ले रहा। शायद ही कोई दिन होगा, जब छावनी या शहर के किसी न किसी मोड़ पर बेसहारा गौवंश को मौत के घाट नहीं उतार दिया जाता। अब इस खूनी खेल में नशेड़ी लोगों ने पैर जमा लिए हैं। नशे की पूर्ति के लिए नशेड़ी जहां-तहां मौका पाकर गौवंश की हत्या करते हैं और फिर इन्हें हड्‌डारोड़ी में पहुंचा देते हैं। सूत्रों की मानें तो फिरोजपुर में सुक्खा लाहौरिया नामक एक शख्स और चिट्टे (हैरोइन) का टीका लगाने की आदी एक लड़की ने गैंग बना रखा है। इस गैंग के लोग हर तरफ फैले हुए हैं और प्रशासन ऐसे लोगों पर नकेल कसने की दिशा में कुछ भी नहीं कर पा रहा है।

दरअसल, पंजाब के सरहदी जिले गौहत्या सबसे बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। यहां गौकुशी माफिया हड्‌डारोड़ी की आड़ में इन दिनों नया तरीका ढूंढ लेता है। हड्‌डारोड़ी वालों के लिए काम करने वालों में नाबालिग लड़कों की गिनती बहुत बड़ी मात्रा में है, वहीं नशेड़ी किस्म के भी कुछ लोग भी इस धंधे में उतर आए हैं। शायद ही कोई दिन होगा, जब बेसहारा घूम रहे गौवंश को मौका पाकर हथोड़े मार-मारकर मौत के घाट नहीं उतार दिया जाता। सूत्रों के मुताबिक इन दिनों सुक्खा लाहौरिया गैंग ने फिरोजपुर में खासा आतंक मचा रखा है। बताया जा रहा है कि नशेड़ी किस्म के इस शख्स ने चिट्टे का टीका लगाने की आदी एक लड़की के साथ मिलकर गौकुशी गैंग खड़ा कर रखा है। इस गैंग में फिरोजपुर छावनी, फिरोजपुर शहर और इतना ही नहीं, आसपास के ग्रामीण इलाके के नशेड़ी किस्म के लोग शामिल हैं।

फिरोजपुरवासियों की मानें तो श्मेहर और छावनी में आए दिन नया तरीका ढूंढ लेने वाले गौकुशी माफिया ने इलाके में नशेड़ियों के गैंग को अपना मोहरा बनाया हुआ है, जो नशा खरीदने के लिए चोरी-चकारी और लूटपाट की वारदातों को अंजाम देते थे। इन लोगों के लिए बेसहारा घूम रहा गौवंश सॉफ्ट टारगेट है। जब भी मौका मिलता है नशेड़ी गौवंश को या तो दिन में हांककर हड्‌डारोड़ी की तरफ ले जाते हैं या फिर खुद-ब-खुद भटकते हुए पहुंचे गौवंश को मौका पाकर सीगों से पकड़कर गिरा लेते हैं और फिर माथे पर हथोड़े बरसाकर उसे मौत के घाट उतार देते हैं। इसके बाद हड्‌डोरोड़ी में ले जाकर बेच देते हैं। वहां इनकी चमड़ी, मांस और हड्डियां सब अलग कर ली जाती हैं। इस सबके बावजूद एक और बड़ा सवाल तो यह भी है कि हत्या के बाद गौवंश के अवशेषों की खपत कहां पर होती है। कहां ले भेजा जाता है यह सब?

इलाके में पिछले करीब 18-20 बरस से जख्मी और बीमार गौवंश की सेवा कर रहे एक शख्स का कहना है कि उन्होंने कई बार गौशाला वालों को इस समस्या के बारे में बताया, मगर नतीजा कुछ भी नहीं निकल रहा। वहीं आम लोगों की मांग है कि पुलिस प्रशासन इलाके में गौकुशी के लिए सक्रिय गैंग्स पर नकेल कसे। साथ इन्होंने जिले के सामान्य प्रशासन, नगर परिषद प्रशासन से अपील की है कि इलाके में बेसहारा घूमते गौवंश की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं। इन्हें गौशालाओं में रखा जाए।

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