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लाल किले पर 9वीं बार राष्ट्रध्वज फहरा PM मोदी ने दिया जय अनुसंधान का नारा, किया ये 5 प्रण लेने का आह्वान

नई दिल्ली. आज 15 अगस्त है, जश्न-ए-आजादी का दिन। लाल किले पर 9वीं राष्ट्रध्वज फहराने के बाद देश की जनता को 76वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकतंत्र के जनक के रूप में भारत की शान बनाए रखने के लिए भ्रष्टाचार, परिवारवाद और भाषायी अंतर को मिटाने की अपील की। जय अनुसंधान का नया नारा देते हुए उन्होंने देश की जनता को 5 विशेष संकल्प लेने का आह्वान किया। खास बात यह भी रही कि ध्वजारोहण और देश के नाम संबोधन के बाद प्रधानमंत्री देश के कोने-कोने से आए बच्चों के बीच भी पहुंच गए। उन्होंने पूरे 5 मिनट बच्चों के बीच बिताए।

लाल किले पर 9वीं बार राष्ट्रध्वज फहरा PM मोदी ने दिया जय अनुसंधान का नारा, किया ये 5 प्रण लेने का आह्वान
समारोह में आए बच्चों के बीच पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। उन्होंने 5 मिनट बच्चों के साथ बात की।

83 मिनट के अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने सबसे पहले महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, वीर सावरकर और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को नमन किया। नारीशक्ति के सम्मान की बात करते हुए वह भावुक भी हो गए। उन्होंने कहा, मैं एक पीड़ा जाहिर करना चाहता हूं। उन्होंने कहा, ‘मैं जानता हूं कि शायद ये लाल किले का विषय नहीं हो सकता। मेरे भीतर का दर्द कहां कहूं। वो है किसी न किसी कारण से हमारे अंदर एक ऐसी विकृति आई है, हमारी बोल चाल, हमारे शब्दों में… हम नारी का अपमान करते हैं। क्या हम नारी को अपमानित करने वाली हर बात से मुक्ति का संकल्प ले सकते हैं’।

लाल किले पर 9वीं बार राष्ट्रध्वज फहरा PM मोदी ने दिया जय अनुसंधान का नारा, किया ये 5 प्रण लेने का आह्वान

प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से आज एक नया नारा दिया है। उन्होंने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने इसमें जय विज्ञान जोड़ा और अब इसमें जय अनुसंधान जोड़ने का समय आ गया है। आज जब हम अमृत काल में प्रवेश कर रहे हैं तो अगले 25 साल हमारे देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। मुझे लगता है कि आने वाले 25 साल के लिए भी हमें पांच प्रण करके उन पर केंद्रित करना होगा। आजादी के दीवानों के सारे सपने पूरे करने का जिम्मा उठाकर चलना होगा।

ये हैं वो पांच संकल्प, जो हमें करने चाहिए

  1. अब देश बड़े संकल्प लेकर ही चले। बहुत बड़े संकल्प लेकर चलना होगा। बड़ा संकल्प है, विकसित भारत बनाना होगा।
  2. किसी भी कोने में हमारे मन के भीतर गुलामी का एक भी अंश अगर अभी भी है तो उसको किसी भी हालत में बचने नहीं देना है। हमें उससे मुक्ति पानी ही होगी।
  3. हमें हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए। यही विरासत, जिसने कभी भारत का स्वर्णिम काल दिया था। इस विरासत के प्रति हमें गर्व होना चाहिए।
  4. 130 करोड़ देशवासियों में एकता और एकजुटता होनी चाहिए। अपने-पराये का भेद खत्म करना होगा। हम सब भारतीय हैं।
  5. हर नागरिक को अपना कर्तव्य समझना होगा, जिससे कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या दूसरा बड़ा नेता भी बाहर नहीं होता। जब सपने बड़े होते हैं। जब संकल्प बड़े होते हैं तो पुरुषार्थ भी बहुत बड़ा होता है।

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